जिनेवा - अभी-अभी अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से वैश्विक विकास में एक नए युग के आरंभ होने की संभावना है, जो लोगों, धरती, समृद्धि, शांति, और भागीदारी के नाम पर दुनिया को बदलने का वादा करता है। लेकिन वादा करने और उसे करके दिखाने में ज़मीन आसमान का अंतर होता है। और यद्यपि वैश्विक घोषणाएँ महत्वपूर्ण होती हैं, वे वित्तपोषण को प्राथमिकता देती हैं और राजनीतिक इच्छाशक्ति का मार्ग प्रशस्त करती हैं - आज की गई प्रतिज्ञाओं में से बहुत-सी प्रतिज्ञाएँ पहले भी की जा चुकी हैं।
वास्तव में, एसडीजी सफल होंगे या नहीं, यह बहुत हद तक इस पर निर्भर करेगा कि वे अन्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों, विशेष रूप से सबसे अधिक जटिल और विवादास्पद समझौतों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। और एक प्रारंभिक परीक्षण एक ऐसे लक्ष्य से संबंधित है जिसके लिए वैश्विक महासागर आयोग ने सक्रिय रूप से अभियान चलाया था: “सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों, और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग करना।”
राजनीतिक नेता जब दिसंबर में नैरोबी में होनेवाले दसवें विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में मिलेंगे, तो उन्हें उस लक्ष्य के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा: मछली बहुत अधिक मात्रा में पकड़ने और अवैध रूप से, बिना सूचित किए और अनियंत्रित रूप से पकड़ने में योगदान करनेवाली सब्सिडियों को अधिकतम 2020 तक बंद करना।
यह कोई नई महत्वाकांक्षा नहीं है; यह विश्व व्यापार संगठन के एजेंडा पर कई वर्षों तक रही है, और इसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय सतत विकास की घोषणाओं में शामिल किया गया है। लेकिन, आज भी देश मत्स्यपालन के लिए सब्सिडी पर प्रतिवर्ष $30 बिलियन खर्च करते हैं जिसका 60% प्रत्यक्ष रूप से, अरक्षणीय, विनाशकारी, और यहां तक कि अवैध प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है। इसके परिणामस्वरूप जो बाजार विरूपण होता है वह दुनिया के मत्स्यपालन के पुराने कुप्रबंधन का एक प्रमुख कारण है, और विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस पर 2012 में $83 बिलियन खर्च करने पड़े।
वित्त और स्थिरता के बारे में चिंताओं के अलावा, इस मुद्दे से समानता और न्याय के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं। वैश्विक मत्स्यपालन सब्सिडियों में चीन और दक्षिण कोरिया के साथ समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं (विशेष रूप से जापान, अमेरिका, फ्रांस और स्पेन) का अंश 70% रहता है। इन परिवर्तनों के फलस्वरूप मछली पकड़ने पर निर्भर हजारों-लाखों समुदायों को सब्सिडी प्राप्त प्रतिद्वंद्वियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है और इससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो जाता है क्योंकि दूरदराज से आनेवाले औद्योगिक बेड़े उनके महासागरीय भंडारों को कम कर देते हैं।
पश्चिम अफ्रीका को विशेष रूप से अधिक नुकसान हो रहा है जहाँ मछली पकड़ना जीवन और मरण का मामला हो सकता है। 1990 के दशक से, जब विदेशी जहाज़ों ने, मुख्य रूप से यूरोपीय संघ और चीन से अपने तटों से दूर औद्योगिक पैमाने पर मछली पकड़ना शुरू कर दिया था, बहुत से स्थानीय मछुआरों के लिए अब जीवन निर्वाह करना या अपने परिवारों का भरण पोषण करना असंभव हो गया है।
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सरकार के अनुमान के अनुसार,1994 से 2005 तक, सेनेगल में पकड़ी जानेवाली मछली की मात्रा 95,000 टन से कम होकर 45,000 टन तक हो गई, और इस देश ने अपनी परंपरागत लकड़ी की बड़ी नौकाओं के अपने आधे बेड़े को खो दिया है। 2005 में मछली के भंडारों में भारी कमी हो जाने के कारण 5,000 लोगों ने अपनी बेकार पड़ी मछली पकड़ने की नौकाओं का अलग तरीके से उपयोग करने का फैसला किया, वे पलायन करके स्पेनिश कैनरी द्वीप चले गए। एक साल बाद, 30,000 से अधिक और लोगों ने वैसी ही खतरनाक यात्रा की, और लगभग 6000 लोग डूब गए। सेनेगल और मॉरीतानियाई मछुआरे और उनके परिवार उन हजारों लोगों में से हैं जो आज यूरोप जाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं।
गहरे समुद्र में भ्रम और भी अधिक होता है। मत्स्यपालन के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, दुनिया के सबसे अमीर देशों में से कुछ द्वारा दी जानेवाली सब्सिडियाँ ही केवल ऐसा कारण हैं जिसके फलस्वरूप तटीय देशों के 200 मील के विशेष आर्थिक क्षेत्रों से बाहर बड़े पैमाने पर औद्योगिक मछली पकड़ना लाभदायक होता है। लेकिन मछलियाँ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का पालन नहीं करती हैं, और अनुमान है कि पकड़ी जानेवाली वाणिज्यिक मछलियों में से 42% देशों के विशेष क्षेत्रों और गहरे समुद्र के बीच यात्रा करती रहती हैं। परिणामस्वरूप, तट से दूर किए जानेवाले औद्योगिक मत्स्यपालन से विकासशील देशों के तटीय मत्स्यपालन, अधिकतर कुशल मछुआरों द्वारा किए जानेवाले मत्स्यपालन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
2020 तक हानिकारक मत्स्यपालन को समाप्त करना न केवल सागर के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है; यह अन्य लक्ष्यों को पूरा करने की हमारी क्षमता को भी प्रभावित करेगा, जैसे भूख को समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा को प्राप्त करने और देशों में और देशों के बीच असमानता को कम करने के हमारे वादे।
विश्व व्यापार संगठन और नए अपनाए गए एसडीजी दोनों की विश्वसनीयता नैरोबी में परखी जाएगी। हानिकारक मत्स्यपालन सब्सिडी को खत्म करने के लिए वैश्विक महासागर आयोग ने एक स्पष्ट तीन चरणों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। अब तो बस यही चाहिए कि सरकारें अंततः इनके कारण होनेवाले अन्याय और बर्बादी को समाप्त करने के लिए सहमत हो जाएँ।
सौभाग्य से, उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन के लगभग 60% सदस्य मत्स्यपालन सब्सिडी को नियंत्रित करने का समर्थन करते हैं जिनमें अफ्रीकी, कैरिबियाई और विकासशील देशों के प्रशांत समूह का समर्थन शामिल है और पारदर्शिता और रिपोर्टिंग में सुधार करने के लिए यूरोपीय संघ के योगदान से इस प्रयास को नई गति मिल रही है। नैरोबी बैठक से पहले जो पहल की जा रही हैं उनमें तथाकथित "न्यूजीलैंड + 5 प्रस्ताव है।" न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना, आइसलैंड, नॉर्वे, पेरू, और उरुग्वे द्वारा सह-प्रायोजित, इस योजना के तहत उन मत्स्यपालन सब्सिडियों को समाप्त किया जाएगा जो अधिक मात्रा में किए गए मत्स्यपालन के भंडारों को प्रभावित करती हैं और अवैध, सूचित न किए गए, और अनियंत्रित मत्स्यपालन में योगदान करती है।
वैश्विक वैश्विक महासागर आयोग विश्व व्यापार संगठन के बाकी 40% सदस्यों, और विशेष रूप से वर्तमान में इस प्रक्रिया को अवरुद्ध कर रहे सबसे बड़े खिलाड़ियों से आग्रह कर रहा है कि वे प्रस्तावित किए जानेवाला अपेक्षाकृत सामान्य प्रस्तावों को स्वीकार कर लें । हमारी धरती और उसके महासागरों के लिए टिकाऊ भविष्य इस पर निर्भर करता है।
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No country wants external developments to drive up its borrowing costs and weaken its currency, which is what the UK is facing today, together with serious cyclical and structural challenges. But if the British government responds appropriately, recent market volatility might turn out to have a silver lining.
urges the government to communicate better what it is doing to boost resilient growth – and to do more.
Ricardo Hausmann
urges the US to issue more H1-B visas, argues that Europe must become a military superpower in its own right, applies the “growth diagnostics” framework to Venezuela, and more.
Now that Donald Trump is returning to the White House, he believes that it is an “absolute necessity” for the United States to have “ownership and control” of Greenland. But as an autonomous Danish territory where the US military already operates, Greenland has no reason to abandon its current political arrangement.
explains why the US president-elect's threats to seize the Danish territory are so dangerous.
जिनेवा - अभी-अभी अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से वैश्विक विकास में एक नए युग के आरंभ होने की संभावना है, जो लोगों, धरती, समृद्धि, शांति, और भागीदारी के नाम पर दुनिया को बदलने का वादा करता है। लेकिन वादा करने और उसे करके दिखाने में ज़मीन आसमान का अंतर होता है। और यद्यपि वैश्विक घोषणाएँ महत्वपूर्ण होती हैं, वे वित्तपोषण को प्राथमिकता देती हैं और राजनीतिक इच्छाशक्ति का मार्ग प्रशस्त करती हैं - आज की गई प्रतिज्ञाओं में से बहुत-सी प्रतिज्ञाएँ पहले भी की जा चुकी हैं।
वास्तव में, एसडीजी सफल होंगे या नहीं, यह बहुत हद तक इस पर निर्भर करेगा कि वे अन्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों, विशेष रूप से सबसे अधिक जटिल और विवादास्पद समझौतों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। और एक प्रारंभिक परीक्षण एक ऐसे लक्ष्य से संबंधित है जिसके लिए वैश्विक महासागर आयोग ने सक्रिय रूप से अभियान चलाया था: “सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों, और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग करना।”
राजनीतिक नेता जब दिसंबर में नैरोबी में होनेवाले दसवें विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में मिलेंगे, तो उन्हें उस लक्ष्य के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा: मछली बहुत अधिक मात्रा में पकड़ने और अवैध रूप से, बिना सूचित किए और अनियंत्रित रूप से पकड़ने में योगदान करनेवाली सब्सिडियों को अधिकतम 2020 तक बंद करना।
यह कोई नई महत्वाकांक्षा नहीं है; यह विश्व व्यापार संगठन के एजेंडा पर कई वर्षों तक रही है, और इसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय सतत विकास की घोषणाओं में शामिल किया गया है। लेकिन, आज भी देश मत्स्यपालन के लिए सब्सिडी पर प्रतिवर्ष $30 बिलियन खर्च करते हैं जिसका 60% प्रत्यक्ष रूप से, अरक्षणीय, विनाशकारी, और यहां तक कि अवैध प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है। इसके परिणामस्वरूप जो बाजार विरूपण होता है वह दुनिया के मत्स्यपालन के पुराने कुप्रबंधन का एक प्रमुख कारण है, और विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस पर 2012 में $83 बिलियन खर्च करने पड़े।
वित्त और स्थिरता के बारे में चिंताओं के अलावा, इस मुद्दे से समानता और न्याय के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं। वैश्विक मत्स्यपालन सब्सिडियों में चीन और दक्षिण कोरिया के साथ समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं (विशेष रूप से जापान, अमेरिका, फ्रांस और स्पेन) का अंश 70% रहता है। इन परिवर्तनों के फलस्वरूप मछली पकड़ने पर निर्भर हजारों-लाखों समुदायों को सब्सिडी प्राप्त प्रतिद्वंद्वियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है और इससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो जाता है क्योंकि दूरदराज से आनेवाले औद्योगिक बेड़े उनके महासागरीय भंडारों को कम कर देते हैं।
पश्चिम अफ्रीका को विशेष रूप से अधिक नुकसान हो रहा है जहाँ मछली पकड़ना जीवन और मरण का मामला हो सकता है। 1990 के दशक से, जब विदेशी जहाज़ों ने, मुख्य रूप से यूरोपीय संघ और चीन से अपने तटों से दूर औद्योगिक पैमाने पर मछली पकड़ना शुरू कर दिया था, बहुत से स्थानीय मछुआरों के लिए अब जीवन निर्वाह करना या अपने परिवारों का भरण पोषण करना असंभव हो गया है।
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गहरे समुद्र में भ्रम और भी अधिक होता है। मत्स्यपालन के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, दुनिया के सबसे अमीर देशों में से कुछ द्वारा दी जानेवाली सब्सिडियाँ ही केवल ऐसा कारण हैं जिसके फलस्वरूप तटीय देशों के 200 मील के विशेष आर्थिक क्षेत्रों से बाहर बड़े पैमाने पर औद्योगिक मछली पकड़ना लाभदायक होता है। लेकिन मछलियाँ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का पालन नहीं करती हैं, और अनुमान है कि पकड़ी जानेवाली वाणिज्यिक मछलियों में से 42% देशों के विशेष क्षेत्रों और गहरे समुद्र के बीच यात्रा करती रहती हैं। परिणामस्वरूप, तट से दूर किए जानेवाले औद्योगिक मत्स्यपालन से विकासशील देशों के तटीय मत्स्यपालन, अधिकतर कुशल मछुआरों द्वारा किए जानेवाले मत्स्यपालन पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
2020 तक हानिकारक मत्स्यपालन को समाप्त करना न केवल सागर के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है; यह अन्य लक्ष्यों को पूरा करने की हमारी क्षमता को भी प्रभावित करेगा, जैसे भूख को समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा को प्राप्त करने और देशों में और देशों के बीच असमानता को कम करने के हमारे वादे।
विश्व व्यापार संगठन और नए अपनाए गए एसडीजी दोनों की विश्वसनीयता नैरोबी में परखी जाएगी। हानिकारक मत्स्यपालन सब्सिडी को खत्म करने के लिए वैश्विक महासागर आयोग ने एक स्पष्ट तीन चरणों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। अब तो बस यही चाहिए कि सरकारें अंततः इनके कारण होनेवाले अन्याय और बर्बादी को समाप्त करने के लिए सहमत हो जाएँ।
सौभाग्य से, उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं। विश्व व्यापार संगठन के लगभग 60% सदस्य मत्स्यपालन सब्सिडी को नियंत्रित करने का समर्थन करते हैं जिनमें अफ्रीकी, कैरिबियाई और विकासशील देशों के प्रशांत समूह का समर्थन शामिल है और पारदर्शिता और रिपोर्टिंग में सुधार करने के लिए यूरोपीय संघ के योगदान से इस प्रयास को नई गति मिल रही है। नैरोबी बैठक से पहले जो पहल की जा रही हैं उनमें तथाकथित "न्यूजीलैंड + 5 प्रस्ताव है।" न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना, आइसलैंड, नॉर्वे, पेरू, और उरुग्वे द्वारा सह-प्रायोजित, इस योजना के तहत उन मत्स्यपालन सब्सिडियों को समाप्त किया जाएगा जो अधिक मात्रा में किए गए मत्स्यपालन के भंडारों को प्रभावित करती हैं और अवैध, सूचित न किए गए, और अनियंत्रित मत्स्यपालन में योगदान करती है।
वैश्विक वैश्विक महासागर आयोग विश्व व्यापार संगठन के बाकी 40% सदस्यों, और विशेष रूप से वर्तमान में इस प्रक्रिया को अवरुद्ध कर रहे सबसे बड़े खिलाड़ियों से आग्रह कर रहा है कि वे प्रस्तावित किए जानेवाला अपेक्षाकृत सामान्य प्रस्तावों को स्वीकार कर लें । हमारी धरती और उसके महासागरों के लिए टिकाऊ भविष्य इस पर निर्भर करता है।