लंदन – नाइजीरिया में रहने वाले समलैंगिक व्यक्ति के रूप में, मेरी सबसे बड़ी चुनौती थी, अपनी लिंगीयता और अपने कार्य में से किसी एक का चयन करना।
2004 में, मैंने अपने अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी। मैंने अभी-अभी विश्वविद्यालय छोड़ा था, और मुझे नाइजीरिया के एक सबसे अधिक लोकप्रिय टीवी स्टेशन, गैलेक्सी टेलीविज़न पर प्राइम टाइम धारावाहिक "रोज़ेज़ एंड थॉर्न्स" में मुख्य पात्र के रूप में प्रस्तुत किया गया था। मैं एक अमीर परिवार के इकलौते बेटे "रिचर्ड" की भूमिका निभा रहा था, जिसका घर की नौकरानी के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था।
तभी मेरे निजी जीवन के बारे में कानाफूसी होनी शुरू हो गई, और मैंने फ़ैसला कर लिया कि अब इससे बाहर आने का समय आ गया है। इसलिए अपनी लिंगीयता के बारे में चर्चा करने के लिए मैं नाइजीरिया के सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले टीवी वार्ता शो पर जाने के लिए राजी हो गया।
लगभग तुरंत ही, धारावाहिक से मेरे पात्र को हटा दिया गया। और मेरा कार्य ख़त्म होते ही, मेरी वित्तीय सुरक्षा भी ख़त्म हो गई। अफ़्रीका में अनेक समलैंगिक पुरुषों और महिलाओं की तरह, मुझे आर्थिक स्वतंत्रता और मानसिक कारावास में से किसी एक को चुनना था।
इस साल, नाइजीरिया और युगांडा ने समलैंगिकता-विरोधी कठोर क़ानून बनाया है, जिससे दुनिया भर में मानव अधिकारों के बारे में बहस छिड़ गई है। यह बहस विश्व बैंक में भी शुरू हो गई है, जिसके अध्यक्ष, जिम योंग किम ने हाल ही में घोषित किया कि "सुनियोजित भेदभाव लोगों और समाज के लिए ख़राब है।"
किम के इस वक्तव्य की आलोचना हुई है और इससे विवाद पैदा हुआ है। अकसर, जैसा कि युगांडा और नाइजीरिया में होता है, हम इस दावे के बारे में सुनते हैं कि समलिंगी, उभयलिंगी, और विपरीत लिंगी (LGBT) लोगों के ख़िलाफ़ सरकारी स्तर पर भेदभाव का विरोध बस अफ़्रीका पर "पश्चिमी" मूल्य थोपने का तरीका मात्र है। लेकिन इसमें यह मान लिया जाता है कि समलैंगिकता "गैर-अफ़्रीकी" है। और, इस बात का सबूत न होने के बावजूद कि किसी देश विशेष या महाद्वीप में LGBT लोग नहीं हैं (और इसके विपरीत पर्याप्त सबूत होते हैं), यह एक ऐसी धारणा है जिसे अधिकाधिक अफ़्रीकी नेताओं ने मान्यता दी है।
Project Syndicate is returning to Climate Week NYC with an even more expansive program. Join us live on September 22 as we welcome speakers from around the world at our studio in Manhattan to address critical dimensions of the climate debate.
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2006 में, राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासैंजो, जो उस समय नाइजीरिया के राष्ट्रपति थे, ऐसा करने वाले व्यक्तियों में पहले व्यक्ति थे। 2014 में समलैंगिकता-विरोधी विधेयक को क़ानून बनाने के लिए हस्ताक्षर करते समय, युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने भी यही किया। गाम्बिया के राष्ट्रपति याह्या जमेह से लेकर जिम्बाब्वे के रॉबर्ट मुगाबे तक, अन्य नेताओं ने भी उसी सुर में बात की।
इस तरह के सरकारी नज़रिए ने अफ़्रीका के समलैंगिक पुरुषों और स्त्रियों के लिए बहुत अधिक पीड़ादायक स्थिति पैदा की है। निश्चित रूप से, अनेक अफ़्रीकी देशों में समलैंगिक लोगों के लिए होमोफोबिया की क़ीमत दर्दनाक रूप से स्पष्ट है: क़ानूनी दंड, सामाजिक बहिष्कार, और भीड़ का न्याय।
लेकिन अफ़्रीका के समलैंगिकता-विरोधी नेता एक बात भूल जाते हैं: क़ानूनी सुरक्षाएँ देना केवल मानवाधिकारों का मुद्दा ही नहीं है, बल्कि यह आर्थिक मुद्दा भी है। किम की बात बिल्कुल सही है, और शोध ने उन देशों में जहाँ क़ानून और सामाजिक व्यवहार समान सेक्स संबंधों का बहिष्कार किया जाता है, समलैंगिकता-विरोधी भावना और ग़रीबी के बीच संबंधों की खोज के द्वारा, होमोफोबिया की आर्थिक लागत का मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है।
मैसाचुसेट्स-एमहर्स्ट विश्वविद्यालय के एक अर्थशास्त्री, एम.वी. ली बागेट ने मार्च 2014 में विश्व बैंक की एक बैठक में भारत में होमोफोबिया के आर्थिक प्रभाव पर एक अध्ययन के प्रारंभिक निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। बागेट का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को समलैंगिकता-विरोधी कलंक और भेदभाव से पैदा हुए अवसाद, आत्महत्या, और HIV उपचार असमानताओं के कारण 2012 में केवल प्रत्यक्ष स्वास्थ्य लागतों में $23.1 अरब तक की हानि हुई होगी।
ऐसी ठोस लागतों के अलावा, समलैंगिक होने से हिंसा, कार्य की हानि, परिवार की अस्वीकृति, स्कूलों में उत्पीड़न, और शादी करने के लिए दबाव भी आ सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अनेक समलैंगिक लोगों की शिक्षा कम होती है, उत्पादकता कम होती है, आय कम होती है, स्वास्थ्य ख़राब होता है, और जीवन-काल कम होता है।
नाइजीरिया में, 2005 में अपनी लिंगीयता के बारे में संदेह होने के कारण अपना कार्य खोने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के निदान के रूप में मैंने समान अधिकारों के लिए स्वतंत्र परियोजना (TIERS) शुरू की थी। अपने पहले साल के दौरान, हमने दर्जनों लोगों को सहायता प्रदान की। एक युवक "ओलुमाइड" को तब अस्थायी आवास दिया गया जब उसके परिवार ने समलैंगिक होने के कारण उसे घर से बाहर निकाल दिया था। एक अन्य व्यक्ति "उछे" को उसकी लिंगीयता का राज़ खुलने के बाद उसे बावर्ची की नौकरी से निकाल दिया गया था। TIERS ने उसे आवास दिया और केटरिंग व्यवसाय स्थापित करने के लिए पूँजी की मदद की। हालाँकि लगभग 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके असली नाम का उपयोग करना अभी भी सुरक्षित नहीं है।
पूरे अफ़्रीका में, नियोक्ताओं, मकान-मालिकों, स्वास्थ्य-सेवा प्रदाताओं, शैक्षिक संस्थानों, और अन्य लोगों पर LGBT लोगों को बाहर करने के लिए बढ़ते दबाव के कारण भेदभाव की आर्थिक लागत बढ़ रही है।
आज, विश्व बैंक और अन्य विकास एजेंसियाँ उन वैश्विक विकास प्राथमिकताओं का निर्धारण कर रही हैं जिन्हें सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (MDGs) की समाप्ति के बाद लिया जाएगा, जो आधिकारिक तौर पर 2015 में समाप्त हो जाएँगे और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास के लिए रणनीति के रूप में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विशिष्ट लक्ष्यों को शामिल किया है। भविष्य पर नज़र रखते हुए, विश्व बैंक को LGBT अधिकारों के लिए भी वही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और ऋण प्राप्त करने वाले देशों के लिए लिंगीयता और लैंगिक पहचान के लिए क़ानूनी सुरक्षाओं की शर्त रखनी चाहिए।
MDG में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता प्रदान किए जाने के फलस्वरूप "पश्चिमी" मूल्यों को लागू करने से अफ़्रीकी संस्कृतियाँ दूषित नहीं हुईं; वास्तव में, इसने अनेक अफ़्रीकी देशों को मज़बूत बनाया है, जो अब सरकार में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में दुनिया का नेतृत्व करते हैं। LGBT लोगों के लिए इसी तरह की सुरक्षा प्रदान करके, अंतर्राष्ट्रीय निवेश और सहायता से आर्थिक निष्पादन में सुधार हो सकता है और बुनियादी मानव अधिकारों के लिए सम्मान को मज़बूत किया जा सकता है।
विश्व बैंक ने, जो हमेशा "राजनीतिक" सवालों में उलझने से बचने के प्रति सावधान रहता है, इस बात पर ज़ोर दिया है कि वह वैश्विक मानवाधिकार प्रवर्तक नहीं है। लेकिन विश्व बैंक अपने सदस्यों को उनके मानव अधिकारों के दायित्वों को साकार करने में मदद करके अपनी मददगार की भूमिका को भी अधिकाधिक पहचान रहा है। LGBT अधिकारों का मामला एक कसौटी के रूप में होना चाहिए।
ऐसी सरकारों को सहायता देने के फलस्वरूप, जो विशिष्ट सामाजिक समूहों का बहिष्कार करने की अनुमति देती हैं, वास्तविक आर्थिक लागत बहुत अधिक हो सकती है। नए ऋणों पर विचार करते समय यह सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाए जाने चाहिए कि लाभ यथासंभव समावेशी हों।
अगर विश्व बैंक - जो वर्तमान में नाइजीरिया को लगभग $5.5 अरब का ऋण दे रहा है और यह उम्मीद है कि यह अगले चार सालों में हर साल अतिरिक्त $2 अरब के लिए वचन देगा - इस दिशा में कार्रवाई करता है, तो हो सकता है कि अन्य वित्तदाता भी उसका अनुसरण करें। अफ़्रीका के LGBT लोगों को अपने मानव और आर्थिक अधिकारों के लिए संघर्ष में ऐसे शक्तिशाली सहयोगियों की सख़्त ज़रूरत है।
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After a decades-long love affair with laissez-faire policies, many governments – notably in developed countries – are increasingly seeking to shape their economies through tariffs, subsidies, public procurement, and more. But not all industrial policies are created equal, and understanding their nuances and limitations is critical to their success.
Too often, the press and voters treat abortion, and reproductive rights more broadly, as well as other “family” issues – like child tax credits, paid family leave policies and affordable childcare – as somehow different from economic issues. But they are not.
shows why abortion, childcare, and parental leave are not merely “family” issues.
लंदन – नाइजीरिया में रहने वाले समलैंगिक व्यक्ति के रूप में, मेरी सबसे बड़ी चुनौती थी, अपनी लिंगीयता और अपने कार्य में से किसी एक का चयन करना।
2004 में, मैंने अपने अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी। मैंने अभी-अभी विश्वविद्यालय छोड़ा था, और मुझे नाइजीरिया के एक सबसे अधिक लोकप्रिय टीवी स्टेशन, गैलेक्सी टेलीविज़न पर प्राइम टाइम धारावाहिक "रोज़ेज़ एंड थॉर्न्स" में मुख्य पात्र के रूप में प्रस्तुत किया गया था। मैं एक अमीर परिवार के इकलौते बेटे "रिचर्ड" की भूमिका निभा रहा था, जिसका घर की नौकरानी के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था।
तभी मेरे निजी जीवन के बारे में कानाफूसी होनी शुरू हो गई, और मैंने फ़ैसला कर लिया कि अब इससे बाहर आने का समय आ गया है। इसलिए अपनी लिंगीयता के बारे में चर्चा करने के लिए मैं नाइजीरिया के सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले टीवी वार्ता शो पर जाने के लिए राजी हो गया।
लगभग तुरंत ही, धारावाहिक से मेरे पात्र को हटा दिया गया। और मेरा कार्य ख़त्म होते ही, मेरी वित्तीय सुरक्षा भी ख़त्म हो गई। अफ़्रीका में अनेक समलैंगिक पुरुषों और महिलाओं की तरह, मुझे आर्थिक स्वतंत्रता और मानसिक कारावास में से किसी एक को चुनना था।
इस साल, नाइजीरिया और युगांडा ने समलैंगिकता-विरोधी कठोर क़ानून बनाया है, जिससे दुनिया भर में मानव अधिकारों के बारे में बहस छिड़ गई है। यह बहस विश्व बैंक में भी शुरू हो गई है, जिसके अध्यक्ष, जिम योंग किम ने हाल ही में घोषित किया कि "सुनियोजित भेदभाव लोगों और समाज के लिए ख़राब है।"
किम के इस वक्तव्य की आलोचना हुई है और इससे विवाद पैदा हुआ है। अकसर, जैसा कि युगांडा और नाइजीरिया में होता है, हम इस दावे के बारे में सुनते हैं कि समलिंगी, उभयलिंगी, और विपरीत लिंगी (LGBT) लोगों के ख़िलाफ़ सरकारी स्तर पर भेदभाव का विरोध बस अफ़्रीका पर "पश्चिमी" मूल्य थोपने का तरीका मात्र है। लेकिन इसमें यह मान लिया जाता है कि समलैंगिकता "गैर-अफ़्रीकी" है। और, इस बात का सबूत न होने के बावजूद कि किसी देश विशेष या महाद्वीप में LGBT लोग नहीं हैं (और इसके विपरीत पर्याप्त सबूत होते हैं), यह एक ऐसी धारणा है जिसे अधिकाधिक अफ़्रीकी नेताओं ने मान्यता दी है।
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2006 में, राष्ट्रपति ओलुसेगुन ओबासैंजो, जो उस समय नाइजीरिया के राष्ट्रपति थे, ऐसा करने वाले व्यक्तियों में पहले व्यक्ति थे। 2014 में समलैंगिकता-विरोधी विधेयक को क़ानून बनाने के लिए हस्ताक्षर करते समय, युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने भी यही किया। गाम्बिया के राष्ट्रपति याह्या जमेह से लेकर जिम्बाब्वे के रॉबर्ट मुगाबे तक, अन्य नेताओं ने भी उसी सुर में बात की।
इस तरह के सरकारी नज़रिए ने अफ़्रीका के समलैंगिक पुरुषों और स्त्रियों के लिए बहुत अधिक पीड़ादायक स्थिति पैदा की है। निश्चित रूप से, अनेक अफ़्रीकी देशों में समलैंगिक लोगों के लिए होमोफोबिया की क़ीमत दर्दनाक रूप से स्पष्ट है: क़ानूनी दंड, सामाजिक बहिष्कार, और भीड़ का न्याय।
लेकिन अफ़्रीका के समलैंगिकता-विरोधी नेता एक बात भूल जाते हैं: क़ानूनी सुरक्षाएँ देना केवल मानवाधिकारों का मुद्दा ही नहीं है, बल्कि यह आर्थिक मुद्दा भी है। किम की बात बिल्कुल सही है, और शोध ने उन देशों में जहाँ क़ानून और सामाजिक व्यवहार समान सेक्स संबंधों का बहिष्कार किया जाता है, समलैंगिकता-विरोधी भावना और ग़रीबी के बीच संबंधों की खोज के द्वारा, होमोफोबिया की आर्थिक लागत का मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है।
मैसाचुसेट्स-एमहर्स्ट विश्वविद्यालय के एक अर्थशास्त्री, एम.वी. ली बागेट ने मार्च 2014 में विश्व बैंक की एक बैठक में भारत में होमोफोबिया के आर्थिक प्रभाव पर एक अध्ययन के प्रारंभिक निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। बागेट का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को समलैंगिकता-विरोधी कलंक और भेदभाव से पैदा हुए अवसाद, आत्महत्या, और HIV उपचार असमानताओं के कारण 2012 में केवल प्रत्यक्ष स्वास्थ्य लागतों में $23.1 अरब तक की हानि हुई होगी।
ऐसी ठोस लागतों के अलावा, समलैंगिक होने से हिंसा, कार्य की हानि, परिवार की अस्वीकृति, स्कूलों में उत्पीड़न, और शादी करने के लिए दबाव भी आ सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अनेक समलैंगिक लोगों की शिक्षा कम होती है, उत्पादकता कम होती है, आय कम होती है, स्वास्थ्य ख़राब होता है, और जीवन-काल कम होता है।
नाइजीरिया में, 2005 में अपनी लिंगीयता के बारे में संदेह होने के कारण अपना कार्य खोने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के निदान के रूप में मैंने समान अधिकारों के लिए स्वतंत्र परियोजना (TIERS) शुरू की थी। अपने पहले साल के दौरान, हमने दर्जनों लोगों को सहायता प्रदान की। एक युवक "ओलुमाइड" को तब अस्थायी आवास दिया गया जब उसके परिवार ने समलैंगिक होने के कारण उसे घर से बाहर निकाल दिया था। एक अन्य व्यक्ति "उछे" को उसकी लिंगीयता का राज़ खुलने के बाद उसे बावर्ची की नौकरी से निकाल दिया गया था। TIERS ने उसे आवास दिया और केटरिंग व्यवसाय स्थापित करने के लिए पूँजी की मदद की। हालाँकि लगभग 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके असली नाम का उपयोग करना अभी भी सुरक्षित नहीं है।
पूरे अफ़्रीका में, नियोक्ताओं, मकान-मालिकों, स्वास्थ्य-सेवा प्रदाताओं, शैक्षिक संस्थानों, और अन्य लोगों पर LGBT लोगों को बाहर करने के लिए बढ़ते दबाव के कारण भेदभाव की आर्थिक लागत बढ़ रही है।
आज, विश्व बैंक और अन्य विकास एजेंसियाँ उन वैश्विक विकास प्राथमिकताओं का निर्धारण कर रही हैं जिन्हें सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (MDGs) की समाप्ति के बाद लिया जाएगा, जो आधिकारिक तौर पर 2015 में समाप्त हो जाएँगे और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास के लिए रणनीति के रूप में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विशिष्ट लक्ष्यों को शामिल किया है। भविष्य पर नज़र रखते हुए, विश्व बैंक को LGBT अधिकारों के लिए भी वही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और ऋण प्राप्त करने वाले देशों के लिए लिंगीयता और लैंगिक पहचान के लिए क़ानूनी सुरक्षाओं की शर्त रखनी चाहिए।
MDG में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता प्रदान किए जाने के फलस्वरूप "पश्चिमी" मूल्यों को लागू करने से अफ़्रीकी संस्कृतियाँ दूषित नहीं हुईं; वास्तव में, इसने अनेक अफ़्रीकी देशों को मज़बूत बनाया है, जो अब सरकार में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में दुनिया का नेतृत्व करते हैं। LGBT लोगों के लिए इसी तरह की सुरक्षा प्रदान करके, अंतर्राष्ट्रीय निवेश और सहायता से आर्थिक निष्पादन में सुधार हो सकता है और बुनियादी मानव अधिकारों के लिए सम्मान को मज़बूत किया जा सकता है।
विश्व बैंक ने, जो हमेशा "राजनीतिक" सवालों में उलझने से बचने के प्रति सावधान रहता है, इस बात पर ज़ोर दिया है कि वह वैश्विक मानवाधिकार प्रवर्तक नहीं है। लेकिन विश्व बैंक अपने सदस्यों को उनके मानव अधिकारों के दायित्वों को साकार करने में मदद करके अपनी मददगार की भूमिका को भी अधिकाधिक पहचान रहा है। LGBT अधिकारों का मामला एक कसौटी के रूप में होना चाहिए।
ऐसी सरकारों को सहायता देने के फलस्वरूप, जो विशिष्ट सामाजिक समूहों का बहिष्कार करने की अनुमति देती हैं, वास्तविक आर्थिक लागत बहुत अधिक हो सकती है। नए ऋणों पर विचार करते समय यह सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाए जाने चाहिए कि लाभ यथासंभव समावेशी हों।
अगर विश्व बैंक - जो वर्तमान में नाइजीरिया को लगभग $5.5 अरब का ऋण दे रहा है और यह उम्मीद है कि यह अगले चार सालों में हर साल अतिरिक्त $2 अरब के लिए वचन देगा - इस दिशा में कार्रवाई करता है, तो हो सकता है कि अन्य वित्तदाता भी उसका अनुसरण करें। अफ़्रीका के LGBT लोगों को अपने मानव और आर्थिक अधिकारों के लिए संघर्ष में ऐसे शक्तिशाली सहयोगियों की सख़्त ज़रूरत है।