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राज्य-प्रेरित हरित क्रांति

लंदन – हरित भविष्य के निर्माण के बारे में होनेवाली चर्चाओं मे नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा के उत्पादन में सुधार की जरूरत पर ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति पाई जाती है। लेकिन यह तो मात्र पहला कदम है। जब सूरज नहीं चमक रहा होता है, हवा नहीं चल रही होती है, या जब बिजलीचालित कारें चल रही होती हैं, तब उस ऊर्जा का भंडारण करना और उसे मुक्त करने के लिए बेहतर तंत्रों का होना भी महत्वपूर्ण होता है। और, आम धारणा के विपरीत, यह सार्वजनिक क्षेत्र ही है जो इसके प्रभावी समाधानों की दिशा में अग्रणी बना हुआ है।

1990 के दशक के आरंभ में, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रचलित रिचार्जेबल बैटरियों - लिथियम आयन बैटरियों - के वाणिज्यिक विकास के बाद से जीवाश्म ईंधनों के लिए टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों को व्यवहार्य विकल्प बनाने के लिए विद्युत का भंडारण करने और उसे पर्याप्त प्रभावी ढंग से मुक्त करने की चुनौती एक कठिन समस्या रही है। और इस चुनौती पर काबू पाने के लिए बिल गेट्स और एलोन मस्क जैसे उद्यमी अरबपतियों द्वारा किए गए प्रयासों पर अति उत्साहित मीडिया की अटकलों का ध्यान गया है। एक बैटरी को बदलने के लिए कितने अरबपतियों की ज़रूरत हो सकती है?

यह साफ पता चलता है कि इसका जवाब शून्य ही है। इस हफ्ते, अमेरिका के ऊर्जा विभाग की एक शाखा एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी-एनर्जी की निदेशक, एलेन विलियम्स ने घोषणा की कि उनकी एजेंसी ने इस मामले में अरबपतियों को पछाड़ दिया है। उन्होंने यह घोषणा की कि एआरपीए-ई ने बैटरियों के मामले में “कुछ चिर इच्छित चीज़ें हासिल कर ली हैं”, जिससे हम "बैटरी प्रौद्योगिकी में एकदम नया दृष्टिकोण तैयार करने, इसे कारगर बनाने, वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य बनाने में सक्षम हो सकेंगे।”

मस्क की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए, विलियम्स ने उनके दृष्टिकोणों में भारी भेद की ओर ध्यान आकर्षित किया। मस्क "एक विद्यमान, अत्यंत शक्तिशाली बैटरी प्रौद्योगिकी” के बड़े पैमाने पर उत्पादन में लगे हुए हैं। इसके विपरीत, एआरपीए-ई, शुद्ध अर्थों में प्रौद्योगिकीय नवोन्मेष का अनुसरण कर रही है: चीज़ों को "करने के नए तरीके तैयार करना।" और "इस बात का पूरा भरोसा है" कि उनकी कुछ प्रौद्योगिकियों में "काफी बेहतर होने की क्षमता विद्यमान है।"

कई लोगों को यह विकास आश्चर्यजनक लग सकता है। आखिरकार, निजी क्षेत्र को एक अरसे से अर्थव्यवस्था के नवोन्मेष का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता रहा है। लेकिन यह धारणा पूरी तरह से सही नहीं है।

वास्तव में, इतिहास की महान उद्यमी हस्तियाँ अक्सर उद्यमी राज्य के कंधों पर खड़ी रही हैं। एप्पल के पूर्व संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव जॉब्स एक चतुर व्यापारी थे, लेकिन वह हर प्रौद्योगिकी जो आईफ़ोन को 'स्मार्ट' बनाती है, राज्य की निधियों की सहायता से विकसित की गई थी। यही कारण है कि गेट्स ने यह घोषणा की है कि केवल राज्य ही, एआरपीए-ई जैसी सार्वजनिक संस्थाओं के रूप में, किसी ऊर्जा संबंधी सफलता का नेतृत्व कर सकता है।

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यहां यह ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इस भूमिका का निर्वाह करने के लिए राज्य व्यवस्थापक के रूप में नहीं होता है; बल्कि यह कार्य करनेवाला उद्यमी राज्य होता है, जो बाज़ारों को केवल दुरुस्त करने के बजाय उन्हें तैयार करता है। मिशन उन्मुख दृष्टिकोण और प्रयोग करने की स्वतंत्रता के कारण - जिसमें विफलता को अपरिहार्य और स्वागतयोग्य भी माना जाता है - और यहाँ तक कि उसे सीखने की प्रक्रिया की विशेषता समझा जाता है - राज्य शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित करने और क्रांतिकारी नवोन्मेष को आगे बढ़ाने के लिए बेहतर स्थिति में होता है।

लेकिन फिर भी हरित क्रांति का नेतृत्व करना कोई आसान कार्य नहीं होगा। सफल होने के लिए, सरकारी एजेंसियों को महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटना होगा।

एआरपीए-ई पर विचार करें, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के भाग के रूप में 2009 में स्थापित किया गया था। हालांकि बहुत पहले से स्थापित डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) के मॉडल पर आधारित यह एजेंसी अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, इसने अभी से ही भारी आशावादिता दर्शाई है। और, पिछले साल दिसंबर में, पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हरित ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को दुगुना करने के लिए ओबामा और 19 अन्य विश्व नेताओं द्वारा की गई प्रतिबद्धता के फलस्वरूप, एआरपीए-ई को अनुदान के रूप में अच्छा बढ़ावा मिलने की उम्मीद लगती है।

लेकिन एआरपीए-ई के पास नए बाजारों को तैयार करने और आकार देने की वैसी क्षमता का अभी तक अभाव है, उदाहरण के लिए, जैसी क्षमता डीएआरपीए को प्राप्त है। यह एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है, क्योंकि यह एजेंसी एक ऐसे उद्योग में काम कर रही है जो अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में बनी हुई है। हालांकि पवन और सौर विद्युत प्रौद्योगिकियों के विकास को 1970 के दशक में बहुत भारी प्रोत्साहन मिला था, लेकिन इन दोनों में अभी भी बाजार और प्रौद्योगिकी संबंधी अनिश्चितता परिलक्षित होती है। सन्निहित ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को शासन के पुख्ता लाभ प्राप्त हैं, और बाजार स्थिरता का मूल्यांकन पर्याप्त रूप से नहीं करते हैं या कीमत क्षय और प्रदूषण का मूल्यांकन उचित रूप से नहीं करते हैं।

ऐसी अनिश्चितता के माहौल में, कारोबार का क्षेत्र तब तक बाजार में प्रवेश नहीं करेगा जब तक सर्वाधिक जोखिमपूर्ण और सर्वाधिक पूंजी प्रधान निवेश नहीं किए जाते हैं या जब तक सुसंगत और व्यवस्थित राजनीतिक संकेत प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए सरकारों को आवश्यक निवेश करने और सही संकेत प्रदान करने के लिए निर्णायक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए।

यह महत्वपूर्ण है कि सरकारों को सुरक्षा उपाय स्थापित करने चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उद्यमी राज्य को अपने प्रयासों के लिए पुरस्कारों में उचित हिस्सेदारी मिलती है। अतीत में, यह कर के अतिरिक्त लाभों के माध्यम से हो सकता था। लेकिन शीर्ष सीमांत दर उस स्तर के आसपास बिल्कुल नहीं है जिस पर यह 1950 के दशक में उस समय थी जब संयुक्त राज्य अमेरिका में नासा को स्थापित किया गया था, जो राज्य प्रायोजित नवोन्मेष का सबसे बड़ा उदाहरण है। (उस समय, उच्चतम सीमांत कर दर 91% थी।) दरअसल, सिलिकन वैली के वेंचर कैपिटलिस्ट की पैरवी करने के फलस्वरूप, पूंजीगत लाभ कर पांच वर्षों में 1970 के दशक के अंत तक 50% कम हो गया। यह दावा किया जाता है कि 'रणनीतिक' कारणों से विपरीत स्थितियों में पेटेंट के उपयोग में वृद्धि से अतिरिक्त लाभों में कमी हो सकती है।

बेशक, गेट्स और मस्क जैसे निजी क्षेत्र के खिलाड़ी हरित क्रांति को आगे बढ़ाने में आवश्यक भागीदार हैं। वे जब बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण और उपयोग में बड़ी भूमिका का निर्वाह करेंगे, तो वे अपने पुरस्कारों का उचित हिस्सा भी अर्जित करेंगे। लेकिन क्या एपीआरपीए-ई (या उसके दूत निवेशकों – अमेरिकी करदाताओं) को भी कुछ प्रतिलाभ इसलिए नहीं मिलना चाहिए कि उन्होंने पहले - और जोखिमपूर्ण - निवेश किया था?

इसराइल (जिसमें योज़मा कार्यक्रम चलाया जा रहा है) और फिनलैंड (जिसमें सिट्रा कोष चलाया जा रहा है) जैसे कुछ देशों में, सरकार ने राज्य वित्तपोषित नवोन्मेष में अपनी हिस्सेदारी को बरकरार रखा है। यह उद्यमी राज्य को निवेश करने में सक्षम बनाता है, जिससे नवोन्मेषों की अगली लहर को उत्प्रेरित करने में मदद मिलती है। पश्चिमी देश इस बुद्धिमत्तापूर्ण विचार का इतना प्रतिरोध क्यों करते हैं?

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