VaccinationImmunization_UNICEF Ethiopia_Flickr UNICEF Ethiopia/Flickr

जीवनरक्षक धारणाएं

जेनेवा. उत्तरी नाइजीरिया में 200 से अधिक लड़कियों की दुर्दशा इस बात की निर्मम याद दिलाती है कि अफ्रीका में बच्चे-खासकर लड़कियां कितनी असुरक्षित हो सकती हैं. लेकिन यह जानना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है कि यह स्थिति आधुनिक अफ्रीका की सही झलक नहीं दिखलाती है. अफ्रीका के नेतागण अपने देश के बच्चों की सुरक्षा को लेकर अत्यंत प्रतिबद्घ हैं. अमीर देशों में बच्चों को जैसी सुरक्षा उपलब्ध है वैसी सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए दो महत्त्वपूर्ण घटकों की जरूरत हैः साझेदारी और विश्वास या धारणा.

ऐसा इसलिए है कि हालांकि आतंकवाद एक भीतरी खतरा तो है, पर अफ्रीका के बच्चों को सब से बड़ा खतरा है बीमारी का जिसे नियमित टीकाकरण के जरिये सामान्यतः टाला जा सकता है. सचमुच, आज जहां सारी दुनिया लापता बच्चियों को छुड़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ उपायों पर चर्चा कर रही है, वहीं एक दूसरी मुसीबत सिर उठा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में पोलियो के फैलाव को अंतर्राष्ट्रीय जन-स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है. अनेक अफ्रीकी देशों से इस भयावह बीमारी का दूसरे देशों में फैलने का खतरा है.

सौभाग्य से आज पोलियो व कई अन्य बीमारियां जो टीकों से रोकी जा सकती हैं से लड़ने के तत्कालिक एवं ठोस उपाय मौजूद हैं. वर्तमान में ये बीमारियां अफ्रीका व अन्य जगहों पर अनगिनत मासूम जिंदगियां छीन लेती हैं. इसके अलावा अफ्रीकी नेतागण मानते हैं कि नियमित टीकाकरण ही बच्चों को लंबे समय तक और स्थायी रूप से बीमारियों से बचाने का सर्वोत्तम उपाय है. इस महीने के आरंभ में नाइजीरिया की राजधानी आबुजा में अफ्रीकी नेताओं की बैठक में ‘इम्युनाइज अफ्रीका 2020 डिक्लेरेशन’ का प्रस्ताव पास किया गया. इसमें इन नेताओं ने अपने देशों के बच्चों के स्वस्थ व सुनहरे भविष्य में निवेश करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

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