रोम - पिछले कई सालों से, जैव ईंधन विवाद की जड़ बन गए हैं। कुछ लोगों के लिए, कार्बनिक पदार्थों से उत्पादित ऊर्जा का अक्षय स्रोत जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए जादू की छड़ी के समान है। लेकिन दूसरे लोग जैव ईंधन को अस्तित्व के खतरे के रूप में देखते हैं, क्योंकि उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पौधे कृषि भूमि और पानी का बड़ा हिस्सा ले लेते हैं जिनका इस्तेमाल अन्यथा खाद्य पदार्थ उगाने के लिए किया जा सकता है।
लेकिन यह झूठा विरोधाभास है। यह चयन खाद्य और ईंधन के बीच नहीं हो सकता। हम दोनों का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं। सही परिस्थितियाँ होने पर, जैव ईंधन गरीब किसानों को ऊर्जा के स्थायी और किफ़ायती स्रोत उपलब्ध करवाकर खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रभावी साधन हो सकते हैं।
भूमि की सीमा वाले कुछ अफ्रीकी देशों में, पेट्रोल की क़ीमत वैश्विक औसत से तीन गुना है, जिससे ईंधन की कीमतें कृषि विकास की मुख्य बाधाओं में से एक हो जाती हैं। इन क्षेत्रों में जैव ईंधन के इस्तेमाल का विस्तार करने से उत्पादकता को बढ़ावा मिल सकता है, और ख़ास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। अगर जैव ईंधन के द्वारा पैदा की गई चारे की अतिरिक्त मांग को छोटे किसान और छोटे पैमाने के उत्पादक पूरा करने लगें, तो इस प्रभाव को और भी मजबूत बनाया जा सकता है।
जैव ईंधन जीवन की सच्चाई बन चुके हैं, और उम्मीद की जाती है कि उनके इस्तेमाल में लगातार बढ़ोतरी होगी। खाद्य और कृषि संगठन और ओईसीडी की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में, जैव ईंधन दुनिया भर में इस्तेमाल किए गए कुल परिवहन ईंधन का 3% था। हालाँकि यह प्रतिशत स्थिर बने रहने की उम्मीद है, लेकिन फिर भी हम उम्मीद कर सकते हैं कि सकल रूप से जैव ईंधनों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी क्योंकि परिवहन ईंधन के लिए वैश्विक बाजार में भी विस्तार होगा।
निश्चित रूप से, वैश्विक जैव ईंधन का उत्पादन इसके 2007 के स्तर की तुलना में बढ़कर 2023 में दोगुना होने का अनुमान है। अगर यह भविष्यवाणी सही होती है, तो जैव ईंधन दुनिया के मोटे अनाज के 12%, इसके गन्ने के 28%, और इसके वनस्पति तेल के 14% की खपत करेगा। जैसे-जैसे इन ईंधनों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, हमें ऐसी नीतियों, कार्यक्रमों, और क्षमताओं की ज़रूरत होगी जो यह सुनिश्चित करें कि इनका इस्तेमाल खाद्य बाजारों को विकृत किए बिना या खाद्य सुरक्षा से समझौता किए बिना होगा, जो हमेशा पहली प्राथमिकता बनी रहेगी।
जैव ईंधन के अग्रणियों को शायद इस बात से आश्चर्य होगा कि वे आज दुनिया के कुल ईंधन की आपूर्ति में कितना कम योगदान करते हैं। 1800 के आखिर के दशक के अंत में तैयार किया गया रूडोल्फ डीज़ल का पहला इंजन, मूंगफली के तेल से प्राप्त ईंधन पर चला था। हेनरी फोर्ड ने एक बार गन्ने की खेती करने के लिए काफ़ी ज़मीन ख़रीदने की उम्मीद से फ्लोरिडा की छानबीन की थी, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि संयुक्त राज्य अमेरिका जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले प्रदूषण या पेट्रोल के उत्पादन के लिए तेल के आयात में निहित निर्भरता को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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केवल हाल के दशकों में ही, जैव ईंधन ने अपने मूल आकर्षण को वापस पा लिया है, जिसका श्रेय किफ़ायती ऊर्जा प्राप्त करने, आय उत्पन्न करने, और उस निर्भरता को कम करने की कोशिशों को जाता है जिसकी चेतावनी फ़ोर्ड ने दी थी। अभी हाल ही में, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, और जीवाश्म ईंधन की सीमित प्रकृति के बारे में चिंताओं ने इस मांग को फिर से तेज़ किया है - जिसका अब प्रबंधन किया जाना चाहिए।
कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने, ग्रामीण विकास में तेजी लाने, और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए जैव ईंधन पर दुनिया की बढ़ती निर्भरता का लाभ उठाने के प्रयासों के लिए लचीलापन महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, नीति निर्माताओं को बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमतों में अस्थिरता का मुकाबला करने के लिए योजनाएँ तैयार करनी चाहिए ताकि भोजन और ईंधन के बीच प्रतिस्पर्धा का दबाव ख़त्म हो सके। अधिकारियों को इसकी ज़रूरत हो सकती है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें गिरने पर पारंपरिक ईंधन में मिश्रित किए जाने वाले जैव ईंधनों का प्रतिशत बढ़ाया जाए और उनके बढ़ने पर इसे घटाया जाए। यह स्वतः स्थिरता प्राप्त करने के प्रकार के रूप में काम करेगा। खाद्य पदार्थों की कीमतें गिरने पर भी गरीब किसान अपने उत्पादों के लिए मजबूत मांग का आनंद लेना जारी रखेंगे, और उपभोक्ताओं को कीमतों में तेजी से या अत्यधिक बढ़ोतरी से संरक्षित किया जाएगा।
राष्ट्रीय लक्ष्य भी ज़्यादा लचीले बनाए जा सकते हैं। अगर जैव ईंधन के इस्तेमाल के लिए जनादेश केवल एक साल के बजाय, कई वर्षों में लागू किए जाते हैं, तो खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दबाव कम करने के लिए नीति निर्माता मांग को प्रभावित कर सकते हैं।
अंत में, व्यक्तिगत स्तर पर, पेट्रोल पंप पर भी फ्लेक्स-ईंधन प्रकार के वाहनों को बढ़ावा देकर अधिकाधिक लचीलापन लाया जा सकता है, जो ब्राज़ील में पहले ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगर कारों में ऐसे इंजन लगाए जाते हैं जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन या जैव ईंधन के उच्च प्रतिशत वाले मिश्रणों पर चल सकते हैं, तो उपभोक्ता एक या दूसरे के बीच अदल-बदल करके कीमतों में होनेवाले बदलाव का लाभ उठा सकते हैं।
सही संतुलन ढूँढ़ना आसान नहीं होगा। लेकिन अगर हम अपने सामूहिक ज्ञान का लाभ उठाते हैं, विकासशील देशों के छोटे किसानों को इस कोशिश में शामिल करते हैं, और अपना ध्यान गरीबी कम करने और कमजोर लोगों की रक्षा करने पर बनाए रखते हैं, तो हमारे पास सभी के लिए ज़्यादा ईंधन, ज़्यादा भोजन, और ज़्यादा समृद्धि हो सकती है।
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As US President-elect Donald Trump prepares to make good on his threats to upend American institutions, the pressure is on his opponents to figure out how to defend, and eventually strengthen, US democracy. But first they must understand how the United States reached this point.
Following South Korean President Yoon Suk-yeol’s groundless declaration of martial law, legislators are pursuing his impeachment. If they succeed, they will have offered a valuable example of how democracies should deal with those who abuse the powers of their office.
thinks the effort to remove a lawless president can serve as an important signal to the rest of the world.
रोम - पिछले कई सालों से, जैव ईंधन विवाद की जड़ बन गए हैं। कुछ लोगों के लिए, कार्बनिक पदार्थों से उत्पादित ऊर्जा का अक्षय स्रोत जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए जादू की छड़ी के समान है। लेकिन दूसरे लोग जैव ईंधन को अस्तित्व के खतरे के रूप में देखते हैं, क्योंकि उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पौधे कृषि भूमि और पानी का बड़ा हिस्सा ले लेते हैं जिनका इस्तेमाल अन्यथा खाद्य पदार्थ उगाने के लिए किया जा सकता है।
लेकिन यह झूठा विरोधाभास है। यह चयन खाद्य और ईंधन के बीच नहीं हो सकता। हम दोनों का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं। सही परिस्थितियाँ होने पर, जैव ईंधन गरीब किसानों को ऊर्जा के स्थायी और किफ़ायती स्रोत उपलब्ध करवाकर खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रभावी साधन हो सकते हैं।
भूमि की सीमा वाले कुछ अफ्रीकी देशों में, पेट्रोल की क़ीमत वैश्विक औसत से तीन गुना है, जिससे ईंधन की कीमतें कृषि विकास की मुख्य बाधाओं में से एक हो जाती हैं। इन क्षेत्रों में जैव ईंधन के इस्तेमाल का विस्तार करने से उत्पादकता को बढ़ावा मिल सकता है, और ख़ास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। अगर जैव ईंधन के द्वारा पैदा की गई चारे की अतिरिक्त मांग को छोटे किसान और छोटे पैमाने के उत्पादक पूरा करने लगें, तो इस प्रभाव को और भी मजबूत बनाया जा सकता है।
जैव ईंधन जीवन की सच्चाई बन चुके हैं, और उम्मीद की जाती है कि उनके इस्तेमाल में लगातार बढ़ोतरी होगी। खाद्य और कृषि संगठन और ओईसीडी की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में, जैव ईंधन दुनिया भर में इस्तेमाल किए गए कुल परिवहन ईंधन का 3% था। हालाँकि यह प्रतिशत स्थिर बने रहने की उम्मीद है, लेकिन फिर भी हम उम्मीद कर सकते हैं कि सकल रूप से जैव ईंधनों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी क्योंकि परिवहन ईंधन के लिए वैश्विक बाजार में भी विस्तार होगा।
निश्चित रूप से, वैश्विक जैव ईंधन का उत्पादन इसके 2007 के स्तर की तुलना में बढ़कर 2023 में दोगुना होने का अनुमान है। अगर यह भविष्यवाणी सही होती है, तो जैव ईंधन दुनिया के मोटे अनाज के 12%, इसके गन्ने के 28%, और इसके वनस्पति तेल के 14% की खपत करेगा। जैसे-जैसे इन ईंधनों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, हमें ऐसी नीतियों, कार्यक्रमों, और क्षमताओं की ज़रूरत होगी जो यह सुनिश्चित करें कि इनका इस्तेमाल खाद्य बाजारों को विकृत किए बिना या खाद्य सुरक्षा से समझौता किए बिना होगा, जो हमेशा पहली प्राथमिकता बनी रहेगी।
जैव ईंधन के अग्रणियों को शायद इस बात से आश्चर्य होगा कि वे आज दुनिया के कुल ईंधन की आपूर्ति में कितना कम योगदान करते हैं। 1800 के आखिर के दशक के अंत में तैयार किया गया रूडोल्फ डीज़ल का पहला इंजन, मूंगफली के तेल से प्राप्त ईंधन पर चला था। हेनरी फोर्ड ने एक बार गन्ने की खेती करने के लिए काफ़ी ज़मीन ख़रीदने की उम्मीद से फ्लोरिडा की छानबीन की थी, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि संयुक्त राज्य अमेरिका जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले प्रदूषण या पेट्रोल के उत्पादन के लिए तेल के आयात में निहित निर्भरता को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने, ग्रामीण विकास में तेजी लाने, और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए जैव ईंधन पर दुनिया की बढ़ती निर्भरता का लाभ उठाने के प्रयासों के लिए लचीलापन महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, नीति निर्माताओं को बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमतों में अस्थिरता का मुकाबला करने के लिए योजनाएँ तैयार करनी चाहिए ताकि भोजन और ईंधन के बीच प्रतिस्पर्धा का दबाव ख़त्म हो सके। अधिकारियों को इसकी ज़रूरत हो सकती है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें गिरने पर पारंपरिक ईंधन में मिश्रित किए जाने वाले जैव ईंधनों का प्रतिशत बढ़ाया जाए और उनके बढ़ने पर इसे घटाया जाए। यह स्वतः स्थिरता प्राप्त करने के प्रकार के रूप में काम करेगा। खाद्य पदार्थों की कीमतें गिरने पर भी गरीब किसान अपने उत्पादों के लिए मजबूत मांग का आनंद लेना जारी रखेंगे, और उपभोक्ताओं को कीमतों में तेजी से या अत्यधिक बढ़ोतरी से संरक्षित किया जाएगा।
राष्ट्रीय लक्ष्य भी ज़्यादा लचीले बनाए जा सकते हैं। अगर जैव ईंधन के इस्तेमाल के लिए जनादेश केवल एक साल के बजाय, कई वर्षों में लागू किए जाते हैं, तो खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दबाव कम करने के लिए नीति निर्माता मांग को प्रभावित कर सकते हैं।
अंत में, व्यक्तिगत स्तर पर, पेट्रोल पंप पर भी फ्लेक्स-ईंधन प्रकार के वाहनों को बढ़ावा देकर अधिकाधिक लचीलापन लाया जा सकता है, जो ब्राज़ील में पहले ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगर कारों में ऐसे इंजन लगाए जाते हैं जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन या जैव ईंधन के उच्च प्रतिशत वाले मिश्रणों पर चल सकते हैं, तो उपभोक्ता एक या दूसरे के बीच अदल-बदल करके कीमतों में होनेवाले बदलाव का लाभ उठा सकते हैं।
सही संतुलन ढूँढ़ना आसान नहीं होगा। लेकिन अगर हम अपने सामूहिक ज्ञान का लाभ उठाते हैं, विकासशील देशों के छोटे किसानों को इस कोशिश में शामिल करते हैं, और अपना ध्यान गरीबी कम करने और कमजोर लोगों की रक्षा करने पर बनाए रखते हैं, तो हमारे पास सभी के लिए ज़्यादा ईंधन, ज़्यादा भोजन, और ज़्यादा समृद्धि हो सकती है।