लंदन - विश्व की लगभग आधी आबादी - करीब 3.5 बिलियन लोग- तटों के पास रहती है। जब जलवायु परिवर्तन के कारण तूफान, बाढ़ और कटाव के प्रभावों की स्थिति बदतर हो जाएगी, तो उन लाखों लोगों के जीवन और उनकी आजीविकाओं पर संकट आ जाएगा। वास्तव में, विश्व आर्थिक मंच की विश्व जोखिम आकलन रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल रह पाने में विफलता को प्रभाव की दृष्टि से समाजों और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए एकमात्र सबसे बड़ा जोखिम बताया गया है।
बहुत अधिक बार-बार और अधिक तेज़ आनेवाले तूफानों से जीवनों के खतरे में पड़ने के अलावा, बुनियादी सुविधाओं को पहुंचने वाले नुकसान, और खेती, मत्स्यपालन, और पर्यटन से होनेवाली राजस्व की हानि के फलस्वरूप कई अरब डॉलर की लागत आ सकती है। और, जैसा कि हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ने हाल ही में कहा है, प्रत्येक नए अध्ययन के साथ अनुमानित लागत बढ़ जाती है। फिर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय वर्तमान में प्राकृतिक आपदा से निपटने पर जो खर्च करता है, जोखिम कम करने पर उसके पांचवें हिस्से से भी कम राशि खर्च होगी।
जलवायु जोखिम के मामले में, इसका इलाज करने से रोकथाम करना कहीं अधिक लाभप्रद है। जैसा कि रेड क्रॉस वैश्विक आपदा तैयारी केंद्र की निदेशक रेबेका श्यूरर ने कहा है, "हम प्रतिक्रिया पर लाखों डॉलर खर्च करते हैं, और यदि हम उनमें से अधिकतर संसाधनों का निवेश आरंभिक स्थिति में करें तो हम अधिक लोगों को बचा सकते हैं। यह इतनी आसान सी बात है।
चूंकि अब जलवायु परिवर्तन की मानव और वित्तीय लागतों पर पहले से कहीं अधिक ध्यान दिया जाने लगा है, अब संसाधनों को जोखिम में कमी करने पर लगाने का समय आ गया है। ऐसा करने के लिए राष्ट्रीय सरकारों, उद्योग, सहायता संगठनों, और अन्य गैर सरकारी संगठनों को अपने निवेशों से अधिक लाभ प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। और कुछ सबसे अधिक प्रभावी और किफायती समाधान पहले से ही प्रकृति में उपलब्ध हैं।
तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों में तूफानों और अन्य जोखिमों के प्रभावों को कम करने की काफी क्षमता है, विशेष रूप से जब इन्हें पारंपरिक रूप से बनाए गए बुनियादी ढांचे के साथ जोड़ा जाए। उदाहरण के लिए, मैनग्रोव की 100-मीटर की पट्टी, लहरों की ऊंचाई को 66% तक कम कर सकती है और बाढ़ के दौरान जल के चरम स्तरों को कम कर सकती है। एक मज़बूत कोरल रीफ, लहरों की ताकत को 97% तक कम कर सकती है, जिससे तूफानों का प्रभाव कम हो सकता है और कटाव को रोका जा सकता है। ये और अन्य तटीय पारिस्थितिक तंत्र मियामी से मनीला तक दुनिया के कई शहरों के लिए रक्षा की पहली पंक्ति बने हुए हैं।
अभी हाल ही तक, इस तरह के प्रकृति-आधारित समाधानों की अक्सर अनदेखी की जाती थी। लेकिन नेता अधिकाधिक इनके महत्व को समझने लगे हैं, और अंतरराष्ट्रीय स्तर सहित, इस पर कार्रवाई करने लग गए हैं। जिस पेरिस जलवायु समझौते पर पिछले साल दिसंबर में सहमति हुई थी, और पिछले महीने हस्ताक्षर किए गए थे, उससे न केवल जलवायु परिवर्तन के समाधान के महत्व पर आम सहमति बनी है, बल्कि यह भी स्पष्ट रूप से पुष्टि हुई है कि पारिस्थितिक तंत्र ग्रीन हाउस गैसों को पकड़ने और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल बनने में मदद करने में भी भूमिका निभाते हैं।
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राष्ट्रीय स्तर पर, सबसे अधिक जोखिम वाले कुछ द्वीप देश महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल सेशल्स ने अपने पेरिस क्लब के लेनदारों और द नेचर कन्ज़र्वेन्सी के साथ अपने किस्म के पहले "प्रकृति के लिए कर्ज" की अदला-बदली की घोषणा की। इस अदला-बदली से यह देश अपने $21.6 मिलियन के कर्ज की राशि को सागर संरक्षण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण में निवेश कर पाएगा जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति इसका लचीलापन अधिक मजबूत होगा।
निजी क्षेत्र के नेताओं ने भी प्राकृतिक साधनों की ओर देखना शुरू कर दिया है। CH2M जैसी इंजीनियरिंग कंपनियां मैक्सिको की खाड़ी में और उससे आगे तटीय समुदायों के साथ ऐसे संकर समाधानों की खोज करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं जिनमें पारंपरिक और प्रकृति आधारित दृष्टिकोणों का मेल हो।
यहां तक कि बीमा उद्योग - जिसमें दुनिया में सबसे अधिक जोखिम से बचने वाली कंपनियां शामिल हैं - को भी प्राकृतिक समाधानों में संभावना दिखाई देती है। पिछले दशक के दौरान, बीमा कंपनियों ने जलवायु संबंधी क्षति के लिए करीब $300 बिलियन का भुगतान किया है, जो उन्होंने अक्सर उन्हीं कमजोर संरचनाओं के पुनर्निर्माण के लिए किया। तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पुनर्बीमाकर्ता स्विस रे ने तटीय समुदायों को तूफान के महंगे जोखिम को कम करने पर अध्ययन किए हैं।
एक स्विस रे अध्ययन के अनुसार, बारबाडोस को हर साल तूफान से संबंधित लागतों के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के 4% जितना नुकसान होता है। लेकिन मैनग्रोव और प्रवाल भित्तियों की रक्षा पर खर्च किए गए हर डॉलर से भविष्य में तूफान से होनेवाले घाटों में $20 की बचत हुई। इस तरह के निष्कर्षों को देखते हुए, अब यह बात समझ से बाहर नहीं रह गई है कि हो सकता है कि बीमा कंपनियां झीलों और अन्य प्राकृतिक बुनियादी सुविधाओं के लिए एक दिन बीमा सुरक्षा प्रदान करना शुरू करने लग जाएं जिससे तटीय समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए संरक्षण प्राप्त हो।
प्रकृति भी आजीविकाओं की रक्षा करने में मदद कर सकती है। वियतनाम में रेड क्रॉस के नेतृत्व में मैनग्रोव बहाली परियोजना से न केवल डाइक और अन्य निर्मित बुनियादी सुविधाओं की क्षति में कमी हुई बल्कि इसके परिणामस्वरूप अधिक जल वाली कृषि पैदावार में भी वृद्धि हुई और इस प्रकार स्थानीय समुदायों को अधिक आय प्राप्त हुई। ग्रेनाडा में मैनग्रोव और मूंगा बहाली परियोजना - जो रेड क्रॉस, द नेचर कंज़र्वेन्सी, और ग्रेनाडा के ग्रेन्विले समुदाय के मछुआरों का एक संयुक्त प्रयास है - ने भी लचीलापन बढ़ाने के लिए भारी क्षमता प्रदर्शित की है। सिर्फ 30 मीटर रीफ और प्रवाल से झींगा, शंख, ऑक्टोपस, और अर्चिन की आबादी के काफी अधिक बढ़ने का पता चला है।
जलवायु और आपदा का लचीलापन एक ऐसी चुनौती है जो सभी क्षेत्रों में व्याप्त है। तो इसलिए हमारे समाधान भी ऐसे होने चाहिए। इस तरह के सामूहिक प्रयास अधिक प्रभावी निवारक रणनीतियों के विकास और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण हैं। विश्व बैंक, द नेचर कन्ज़र्वेन्सी, और साझेदार शोधकर्ताओं (पारिस्थितिकीविदों, अर्थशास्त्रियों, और इंजीनियरों सहित) ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें इस तरह के सहयोग के लिए दिशानिर्देश प्रस्तुत किए हैं। विशेष रूप से, इस रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि संरक्षित पूंजी और बुनियादी सुविधाओं के दृष्टिकोण से तटीय पारिस्थितिक तंत्रों के मूल्य की गणना, आमतौर पर बीमा और इंजीनियरिंग उद्योगों द्वारा उपयोग में लाए जानेवाले दृष्टिकोणों के आधार पर की जानी चाहिए।
बढ़ते जलवायु और आपदा जोखिमों को देखते हुए, प्रकृति आधारित समाधानों में निवेश करने से जीवनों की रक्षा और समृद्धि की सुरक्षा किफायती ढंग से हो सकती है - यह सब दुनिया भर के जोखिमग्रस्त प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करते हुए किया जा सकता है। सरकारों, व्यापार, और गैर सरकारी संगठनों, सभी के लिए यह मान लेने का समय है कि जब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने और तटीय समुदायों की रक्षा करने की बात हो, तो प्रकृति का संरक्षण और बहाली करना सबसे अधिक चतुरतापूर्ण निवेश है जो हम कर सकते हैं।
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While both the American and Chinese Gilded Ages raised material standards of living for hundreds of millions of people, their endemic corruption produced radically unequal and unsustainable growth. Ultimately, both periods offer cautionary tales about unbridled crony capitalism, not models for blind emulation.
explains how corruption both drove the country's GDP growth and sowed the seeds for its current economic problems.
Since taking power in 2014, Prime Minister Narendra Modi and his ruling Bharatiya Janata Party have stoked Hindu nationalism, hollowed out India’s democracy, and overseen an economy that is probably performing far worse than official figures suggest. And yet Modi and the BJP are genuinely popular, making them likely – though not certain – to emerge victorious when the ongoing parliamentary election concludes in June.
लंदन - विश्व की लगभग आधी आबादी - करीब 3.5 बिलियन लोग- तटों के पास रहती है। जब जलवायु परिवर्तन के कारण तूफान, बाढ़ और कटाव के प्रभावों की स्थिति बदतर हो जाएगी, तो उन लाखों लोगों के जीवन और उनकी आजीविकाओं पर संकट आ जाएगा। वास्तव में, विश्व आर्थिक मंच की विश्व जोखिम आकलन रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल रह पाने में विफलता को प्रभाव की दृष्टि से समाजों और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए एकमात्र सबसे बड़ा जोखिम बताया गया है।
बहुत अधिक बार-बार और अधिक तेज़ आनेवाले तूफानों से जीवनों के खतरे में पड़ने के अलावा, बुनियादी सुविधाओं को पहुंचने वाले नुकसान, और खेती, मत्स्यपालन, और पर्यटन से होनेवाली राजस्व की हानि के फलस्वरूप कई अरब डॉलर की लागत आ सकती है। और, जैसा कि हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू ने हाल ही में कहा है, प्रत्येक नए अध्ययन के साथ अनुमानित लागत बढ़ जाती है। फिर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय वर्तमान में प्राकृतिक आपदा से निपटने पर जो खर्च करता है, जोखिम कम करने पर उसके पांचवें हिस्से से भी कम राशि खर्च होगी।
जलवायु जोखिम के मामले में, इसका इलाज करने से रोकथाम करना कहीं अधिक लाभप्रद है। जैसा कि रेड क्रॉस वैश्विक आपदा तैयारी केंद्र की निदेशक रेबेका श्यूरर ने कहा है, "हम प्रतिक्रिया पर लाखों डॉलर खर्च करते हैं, और यदि हम उनमें से अधिकतर संसाधनों का निवेश आरंभिक स्थिति में करें तो हम अधिक लोगों को बचा सकते हैं। यह इतनी आसान सी बात है।
चूंकि अब जलवायु परिवर्तन की मानव और वित्तीय लागतों पर पहले से कहीं अधिक ध्यान दिया जाने लगा है, अब संसाधनों को जोखिम में कमी करने पर लगाने का समय आ गया है। ऐसा करने के लिए राष्ट्रीय सरकारों, उद्योग, सहायता संगठनों, और अन्य गैर सरकारी संगठनों को अपने निवेशों से अधिक लाभ प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। और कुछ सबसे अधिक प्रभावी और किफायती समाधान पहले से ही प्रकृति में उपलब्ध हैं।
तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों में तूफानों और अन्य जोखिमों के प्रभावों को कम करने की काफी क्षमता है, विशेष रूप से जब इन्हें पारंपरिक रूप से बनाए गए बुनियादी ढांचे के साथ जोड़ा जाए। उदाहरण के लिए, मैनग्रोव की 100-मीटर की पट्टी, लहरों की ऊंचाई को 66% तक कम कर सकती है और बाढ़ के दौरान जल के चरम स्तरों को कम कर सकती है। एक मज़बूत कोरल रीफ, लहरों की ताकत को 97% तक कम कर सकती है, जिससे तूफानों का प्रभाव कम हो सकता है और कटाव को रोका जा सकता है। ये और अन्य तटीय पारिस्थितिक तंत्र मियामी से मनीला तक दुनिया के कई शहरों के लिए रक्षा की पहली पंक्ति बने हुए हैं।
अभी हाल ही तक, इस तरह के प्रकृति-आधारित समाधानों की अक्सर अनदेखी की जाती थी। लेकिन नेता अधिकाधिक इनके महत्व को समझने लगे हैं, और अंतरराष्ट्रीय स्तर सहित, इस पर कार्रवाई करने लग गए हैं। जिस पेरिस जलवायु समझौते पर पिछले साल दिसंबर में सहमति हुई थी, और पिछले महीने हस्ताक्षर किए गए थे, उससे न केवल जलवायु परिवर्तन के समाधान के महत्व पर आम सहमति बनी है, बल्कि यह भी स्पष्ट रूप से पुष्टि हुई है कि पारिस्थितिक तंत्र ग्रीन हाउस गैसों को पकड़ने और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल बनने में मदद करने में भी भूमिका निभाते हैं।
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राष्ट्रीय स्तर पर, सबसे अधिक जोखिम वाले कुछ द्वीप देश महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल सेशल्स ने अपने पेरिस क्लब के लेनदारों और द नेचर कन्ज़र्वेन्सी के साथ अपने किस्म के पहले "प्रकृति के लिए कर्ज" की अदला-बदली की घोषणा की। इस अदला-बदली से यह देश अपने $21.6 मिलियन के कर्ज की राशि को सागर संरक्षण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण में निवेश कर पाएगा जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति इसका लचीलापन अधिक मजबूत होगा।
निजी क्षेत्र के नेताओं ने भी प्राकृतिक साधनों की ओर देखना शुरू कर दिया है। CH2M जैसी इंजीनियरिंग कंपनियां मैक्सिको की खाड़ी में और उससे आगे तटीय समुदायों के साथ ऐसे संकर समाधानों की खोज करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं जिनमें पारंपरिक और प्रकृति आधारित दृष्टिकोणों का मेल हो।
यहां तक कि बीमा उद्योग - जिसमें दुनिया में सबसे अधिक जोखिम से बचने वाली कंपनियां शामिल हैं - को भी प्राकृतिक समाधानों में संभावना दिखाई देती है। पिछले दशक के दौरान, बीमा कंपनियों ने जलवायु संबंधी क्षति के लिए करीब $300 बिलियन का भुगतान किया है, जो उन्होंने अक्सर उन्हीं कमजोर संरचनाओं के पुनर्निर्माण के लिए किया। तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पुनर्बीमाकर्ता स्विस रे ने तटीय समुदायों को तूफान के महंगे जोखिम को कम करने पर अध्ययन किए हैं।
एक स्विस रे अध्ययन के अनुसार, बारबाडोस को हर साल तूफान से संबंधित लागतों के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के 4% जितना नुकसान होता है। लेकिन मैनग्रोव और प्रवाल भित्तियों की रक्षा पर खर्च किए गए हर डॉलर से भविष्य में तूफान से होनेवाले घाटों में $20 की बचत हुई। इस तरह के निष्कर्षों को देखते हुए, अब यह बात समझ से बाहर नहीं रह गई है कि हो सकता है कि बीमा कंपनियां झीलों और अन्य प्राकृतिक बुनियादी सुविधाओं के लिए एक दिन बीमा सुरक्षा प्रदान करना शुरू करने लग जाएं जिससे तटीय समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए संरक्षण प्राप्त हो।
प्रकृति भी आजीविकाओं की रक्षा करने में मदद कर सकती है। वियतनाम में रेड क्रॉस के नेतृत्व में मैनग्रोव बहाली परियोजना से न केवल डाइक और अन्य निर्मित बुनियादी सुविधाओं की क्षति में कमी हुई बल्कि इसके परिणामस्वरूप अधिक जल वाली कृषि पैदावार में भी वृद्धि हुई और इस प्रकार स्थानीय समुदायों को अधिक आय प्राप्त हुई। ग्रेनाडा में मैनग्रोव और मूंगा बहाली परियोजना - जो रेड क्रॉस, द नेचर कंज़र्वेन्सी, और ग्रेनाडा के ग्रेन्विले समुदाय के मछुआरों का एक संयुक्त प्रयास है - ने भी लचीलापन बढ़ाने के लिए भारी क्षमता प्रदर्शित की है। सिर्फ 30 मीटर रीफ और प्रवाल से झींगा, शंख, ऑक्टोपस, और अर्चिन की आबादी के काफी अधिक बढ़ने का पता चला है।
जलवायु और आपदा का लचीलापन एक ऐसी चुनौती है जो सभी क्षेत्रों में व्याप्त है। तो इसलिए हमारे समाधान भी ऐसे होने चाहिए। इस तरह के सामूहिक प्रयास अधिक प्रभावी निवारक रणनीतियों के विकास और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण हैं। विश्व बैंक, द नेचर कन्ज़र्वेन्सी, और साझेदार शोधकर्ताओं (पारिस्थितिकीविदों, अर्थशास्त्रियों, और इंजीनियरों सहित) ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें इस तरह के सहयोग के लिए दिशानिर्देश प्रस्तुत किए हैं। विशेष रूप से, इस रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि संरक्षित पूंजी और बुनियादी सुविधाओं के दृष्टिकोण से तटीय पारिस्थितिक तंत्रों के मूल्य की गणना, आमतौर पर बीमा और इंजीनियरिंग उद्योगों द्वारा उपयोग में लाए जानेवाले दृष्टिकोणों के आधार पर की जानी चाहिए।
बढ़ते जलवायु और आपदा जोखिमों को देखते हुए, प्रकृति आधारित समाधानों में निवेश करने से जीवनों की रक्षा और समृद्धि की सुरक्षा किफायती ढंग से हो सकती है - यह सब दुनिया भर के जोखिमग्रस्त प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करते हुए किया जा सकता है। सरकारों, व्यापार, और गैर सरकारी संगठनों, सभी के लिए यह मान लेने का समय है कि जब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने और तटीय समुदायों की रक्षा करने की बात हो, तो प्रकृति का संरक्षण और बहाली करना सबसे अधिक चतुरतापूर्ण निवेश है जो हम कर सकते हैं।