लीमा – सरकारों को जलवायु परिवर्तन के संबंध में कार्रवाई करना आम तौर पर बहुत खर्चीला कार्य लगता है। वास्तव में, इसकी उपेक्षा करना कहीं अधिक खर्चीला पड़ता है। उदाहरण के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसी वजह से विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की रोकथाम को वायु प्रदूषण में कमी होने से "तुरंत मिलनेवाले स्वास्थ्य लाभों एवं स्वास्थ्य पर किए जानेवाले व्यय में होनेवाली बचतों" से संबद्ध किया है।
इसके आँकड़े बहुत भयावह हैं। 2012 में सात मिलियन से अधिक – वैश्विक रूप से आठ में से एक – असामयिक मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं, जबकि इसकी तुलना में तंबाकू से लगभग छह मिलियन असामयिक मौतें हुईं।
सबसे अधिक नुकसान PM2.5 नामक महीन कणों से पहुँचता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है। ये फेफड़ों के भीतर गहरे पैठ कर भारी नुकसान पहुँचाते हैं जिसके कारण फेफड़ों में सूजन, कैंसर और श्वास संक्रमण रोग हो जाते हैं, या रक्तप्रवाह में मिलकर ये रक्त-शिराओं में बदलाव ला सकते हैं जिनसे दिल के दौरे पड़ सकते हैं और आघात हो सकते हैं।
डीज़ल और कोयले का दहन, वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में हैं, जिससे 3.7 मिलियन मौतें बाहरी धुएँ के कारण हुईं और 4.3 मिलियन मौतें घरों के कम हवादार होने के कारण हुईं। 34 ओईसीडी देशों में होने वाली असामयिक मौतों में से अब आधी मौतें, ईंधनचालित परिवहन से परिवेश में व्याप्त कणीय पदार्थों के कारण होती हैं। कोयले से प्राप्त ऊर्जा कार्बन डाइऑक्साइड का भी मुख्य स्रोत है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी मुख्य पर्यावरण तापन गैस है, जिसके कारण प्रति वर्ष 1,50,000 असामयिक मौतें होती हैं और इससे इस सदी में और उसके बाद भी कई ख़तरे हो सकते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोयला उद्योग ने अरबों लोगों को गरीबी से छुटकारा पाने में मदद की है, कम-से-कम चीन में तो ऐसा हुआ है, जहाँ कोयले से प्राप्त ऊर्जा के कारण 1990 से प्रति व्यक्ति आय में लगभग 700% की वृद्धि संभव हो सकी है। परंतु जिन देशों में कोयला अधिक जलाया जाता है वहाँ लोगों के स्वास्थ्य पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा अधिक होता है। अर्थव्यवस्था और जलवायु पर वैश्विक आयोग के लिए पिछले वर्ष किए गए शोध में यह आकलन किया गया कि वर्ष 2010 में केवल कणीय पदार्थों के कारण चीन में 1.23 मिलियन असामयिक मौतें हुईं – जो विश्व में कोयले की सर्वोच्च खपत वाली अर्थव्यवस्था है।
वर्ष 2012 के आकलनों से यह पता चलता है कि वायु-प्रदूषण से संबंधित कुल मौतों में से 88% मौतें निम्न से मध्य आय वाले देशों में होती हैं, जिनमें विश्व की 82% आबादी आती है। पश्चिमी प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों में होनेवाली मौतों की संख्या क्रमशः 1.67 मिलियन और 9,36,000 है।
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परंतु उच्च आय वाले देशों में भी प्रदूषण की स्थिति खराब होती जा रही है और इससे मौतें हो रही हैं। उदाहरण के लिए, PM2.5 के कारण यूरोपीय संघ में आयु संभाविता आठ महीने कम हो गई है, और इसमें ओज़ोन को भी अगर शामिल कर लिया जाए तो 2011 में यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देशों में इनके कारण 4,30,000 मौतें हुईं। ब्रिटेन में, 1952 के महा कोहरे के छह दशकों से भी अधिक समय के बाद, PM2.5 प्रदूषण स्तर अभी तक डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों में निर्धारित सीमा से अधिक बने हुए हैं। यूरोपीय संघ में वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर होनेवाले व्ययों की राशि €940 बिलियन प्रतिवर्ष तक होती है।
हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों के साक्ष्य का पुनरीक्षण किया और उसमें यह पाया गया कि हमारी पूर्व धारणा के विपरीत कम आबादी वाले क्षेत्रों में भी ऐसे प्रभावों का क्षेत्र पहले से अधिक विस्तृत हो गया है। वायु प्रदूषण के फेफड़ों और हृदय पर पड़ने वाले सुपरिचित प्रभावों के अलावा, नए साक्ष्य से गर्भाशय में पल रहे बच्चों सहित, बच्चों के विकास पर इसके हानिकारक प्रभाव पड़ने के बारे में पता चला है। कुछ अध्ययन वायु प्रदूषण को मधुमेह से भी संबद्ध करते हैं, जो इंडोनेशिया, चीन और पश्चिमी देशों में एक प्रमुख पुरानी बीमारी और स्वास्थ्य चुनौती है।
स्वास्थ्य संबंधी ख़तरों के बारे में भारी साक्ष्य होने के बावजूद, बहुत से देश वायु-गुणवत्ता के मानकों - और साथ ही उत्सर्जनों की निगरानी के लिए आवश्यक प्रभावशाली क्षेत्रीय सहयोग - की नेमी तौर पर मुख्य रूप से इसलिए अनदेखी करते हैं कि उनकी सरकारों को इनके आर्थिक प्रभाव की आशंका होती है। विकास हेतु रणनीति तैयार करने के लिए सलाहकारों द्वारा जिन आर्थिक मॉडलों का उपयोग किया जाता है - और प्रमुख आधारिक संरचनाओं पर निर्णय को प्रभावित करने के लिए पैरोकारों द्वारा उनका मिथ्या प्रचार किया जाता है, उनमें वायु प्रदूषण के कारण मानवीय रोगों पर होने वाले खर्च और और इसे कम करने हेतु किए जाने वाले उपायों से होने वाले दीर्घकालिक लाभों को शामिल नहीं किया जाता है।
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं के किसी भी समाधान के लिए न केवल नए आर्थिक मॉडलों की आवश्यकता होगी, अपितु स्थानीय, राष्ट्रीय, और अंतर्राष्ट्रीय सरकारों द्वारा संघटित उपाय करने की भी आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए शहरी यातायात से होनेवाले उत्सर्जनों में कमी करने हेतु सुसंबद्ध विकास को बढ़ावा देने के लिए नगर महापौरों, स्थानीय योजनाकारों, और राष्ट्रीय नीति-निर्माताओं को मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।
सौभाग्यवश, कारगर कार्रवाई करने के लिए अब सरकारी सहयोग बढ़ रहा है। चीन में जनवरी, 2013 में इसके प्रमुख शहरों पर ‘एअरपोकैलिप्स’ नामक दमघोंटू धूम कोहरा छा जाने तथा वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़नेवाले विनाशकारी प्रभावों को उजागर करनेवाले चाइ जिंग के हालिया वृत्त-चित्र (और सामाजिक-मीडिया का अजूबा) ‘अंडर द डोम’ दिखाए जाने के बाद, वायु प्रदूषण चीन के घरेलू एजेंडा में सर्वोपरि स्थान पर है। वास्तव में, चीन की सरकार ने देश के कुछ अत्यधिक प्रदूषित विद्युत संयंत्रों को बंद कर दिया है जिसके परिणामस्वरूप 1998 के बाद, पिछले वर्ष पहली बार कोयले की खपत में कमी हुई है।
वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचओ के शासी निकाय) के लिए हाल ही में तैयार किए गए संकल्प के प्रारूप में यह सुझाव दिया गया है कि देशों को वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में संबद्धता पर बल देना चाहिए। देशों को डब्ल्यूएचओ के वायु-गुणवत्ता के दिशानिर्देशों को अपनाना चाहिए तथा अधिक हरित शहरी योजना, अधिक स्वच्छ ऊर्जा, अधिक हवादार भवनों, अधिक सुरक्षित पदयात्रा एवं साइकिल चालन के अतिरिक्त अवसरों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जनों में कमी करने के फलस्वरूप होनेवाले स्वास्थ्य संबंधी लाभों को सरकारों द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेने से जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और मानव-स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक साथ अधिक प्रगति करने का लाभ मिल सकता है। सभी नीति निर्माताओं को उन आर्थिक अवसरों - और राजनीतिक लाभों - को स्वीकार करना चाहिए जिनकी ऐसे किसी परिणाम से प्राप्त होने की संभावना हो।
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The US retirement system is failing American workers. But after decades of pushing fake fixes – especially forcing people to work longer – US policymakers have an opportunity to make real progress in bolstering Americans' economic security in old age.
proposes a Grey New Deal that would boost economic security for all US workers in old age.
From a long list of criminal indictments to unfavorable voter demographics, there is plenty standing between presumptive GOP nominee Donald Trump and a second term in the White House. But a Trump victory in the November election remains a distinct possibility – and a cause for serious economic concern.
लीमा – सरकारों को जलवायु परिवर्तन के संबंध में कार्रवाई करना आम तौर पर बहुत खर्चीला कार्य लगता है। वास्तव में, इसकी उपेक्षा करना कहीं अधिक खर्चीला पड़ता है। उदाहरण के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसी वजह से विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की रोकथाम को वायु प्रदूषण में कमी होने से "तुरंत मिलनेवाले स्वास्थ्य लाभों एवं स्वास्थ्य पर किए जानेवाले व्यय में होनेवाली बचतों" से संबद्ध किया है।
इसके आँकड़े बहुत भयावह हैं। 2012 में सात मिलियन से अधिक – वैश्विक रूप से आठ में से एक – असामयिक मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं, जबकि इसकी तुलना में तंबाकू से लगभग छह मिलियन असामयिक मौतें हुईं।
सबसे अधिक नुकसान PM2.5 नामक महीन कणों से पहुँचता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है। ये फेफड़ों के भीतर गहरे पैठ कर भारी नुकसान पहुँचाते हैं जिसके कारण फेफड़ों में सूजन, कैंसर और श्वास संक्रमण रोग हो जाते हैं, या रक्तप्रवाह में मिलकर ये रक्त-शिराओं में बदलाव ला सकते हैं जिनसे दिल के दौरे पड़ सकते हैं और आघात हो सकते हैं।
डीज़ल और कोयले का दहन, वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में हैं, जिससे 3.7 मिलियन मौतें बाहरी धुएँ के कारण हुईं और 4.3 मिलियन मौतें घरों के कम हवादार होने के कारण हुईं। 34 ओईसीडी देशों में होने वाली असामयिक मौतों में से अब आधी मौतें, ईंधनचालित परिवहन से परिवेश में व्याप्त कणीय पदार्थों के कारण होती हैं। कोयले से प्राप्त ऊर्जा कार्बन डाइऑक्साइड का भी मुख्य स्रोत है, जो जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी मुख्य पर्यावरण तापन गैस है, जिसके कारण प्रति वर्ष 1,50,000 असामयिक मौतें होती हैं और इससे इस सदी में और उसके बाद भी कई ख़तरे हो सकते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोयला उद्योग ने अरबों लोगों को गरीबी से छुटकारा पाने में मदद की है, कम-से-कम चीन में तो ऐसा हुआ है, जहाँ कोयले से प्राप्त ऊर्जा के कारण 1990 से प्रति व्यक्ति आय में लगभग 700% की वृद्धि संभव हो सकी है। परंतु जिन देशों में कोयला अधिक जलाया जाता है वहाँ लोगों के स्वास्थ्य पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा अधिक होता है। अर्थव्यवस्था और जलवायु पर वैश्विक आयोग के लिए पिछले वर्ष किए गए शोध में यह आकलन किया गया कि वर्ष 2010 में केवल कणीय पदार्थों के कारण चीन में 1.23 मिलियन असामयिक मौतें हुईं – जो विश्व में कोयले की सर्वोच्च खपत वाली अर्थव्यवस्था है।
वर्ष 2012 के आकलनों से यह पता चलता है कि वायु-प्रदूषण से संबंधित कुल मौतों में से 88% मौतें निम्न से मध्य आय वाले देशों में होती हैं, जिनमें विश्व की 82% आबादी आती है। पश्चिमी प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों में होनेवाली मौतों की संख्या क्रमशः 1.67 मिलियन और 9,36,000 है।
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हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों के साक्ष्य का पुनरीक्षण किया और उसमें यह पाया गया कि हमारी पूर्व धारणा के विपरीत कम आबादी वाले क्षेत्रों में भी ऐसे प्रभावों का क्षेत्र पहले से अधिक विस्तृत हो गया है। वायु प्रदूषण के फेफड़ों और हृदय पर पड़ने वाले सुपरिचित प्रभावों के अलावा, नए साक्ष्य से गर्भाशय में पल रहे बच्चों सहित, बच्चों के विकास पर इसके हानिकारक प्रभाव पड़ने के बारे में पता चला है। कुछ अध्ययन वायु प्रदूषण को मधुमेह से भी संबद्ध करते हैं, जो इंडोनेशिया, चीन और पश्चिमी देशों में एक प्रमुख पुरानी बीमारी और स्वास्थ्य चुनौती है।
स्वास्थ्य संबंधी ख़तरों के बारे में भारी साक्ष्य होने के बावजूद, बहुत से देश वायु-गुणवत्ता के मानकों - और साथ ही उत्सर्जनों की निगरानी के लिए आवश्यक प्रभावशाली क्षेत्रीय सहयोग - की नेमी तौर पर मुख्य रूप से इसलिए अनदेखी करते हैं कि उनकी सरकारों को इनके आर्थिक प्रभाव की आशंका होती है। विकास हेतु रणनीति तैयार करने के लिए सलाहकारों द्वारा जिन आर्थिक मॉडलों का उपयोग किया जाता है - और प्रमुख आधारिक संरचनाओं पर निर्णय को प्रभावित करने के लिए पैरोकारों द्वारा उनका मिथ्या प्रचार किया जाता है, उनमें वायु प्रदूषण के कारण मानवीय रोगों पर होने वाले खर्च और और इसे कम करने हेतु किए जाने वाले उपायों से होने वाले दीर्घकालिक लाभों को शामिल नहीं किया जाता है।
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं के किसी भी समाधान के लिए न केवल नए आर्थिक मॉडलों की आवश्यकता होगी, अपितु स्थानीय, राष्ट्रीय, और अंतर्राष्ट्रीय सरकारों द्वारा संघटित उपाय करने की भी आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए शहरी यातायात से होनेवाले उत्सर्जनों में कमी करने हेतु सुसंबद्ध विकास को बढ़ावा देने के लिए नगर महापौरों, स्थानीय योजनाकारों, और राष्ट्रीय नीति-निर्माताओं को मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।
सौभाग्यवश, कारगर कार्रवाई करने के लिए अब सरकारी सहयोग बढ़ रहा है। चीन में जनवरी, 2013 में इसके प्रमुख शहरों पर ‘एअरपोकैलिप्स’ नामक दमघोंटू धूम कोहरा छा जाने तथा वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़नेवाले विनाशकारी प्रभावों को उजागर करनेवाले चाइ जिंग के हालिया वृत्त-चित्र (और सामाजिक-मीडिया का अजूबा) ‘अंडर द डोम’ दिखाए जाने के बाद, वायु प्रदूषण चीन के घरेलू एजेंडा में सर्वोपरि स्थान पर है। वास्तव में, चीन की सरकार ने देश के कुछ अत्यधिक प्रदूषित विद्युत संयंत्रों को बंद कर दिया है जिसके परिणामस्वरूप 1998 के बाद, पिछले वर्ष पहली बार कोयले की खपत में कमी हुई है।
वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचओ के शासी निकाय) के लिए हाल ही में तैयार किए गए संकल्प के प्रारूप में यह सुझाव दिया गया है कि देशों को वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में संबद्धता पर बल देना चाहिए। देशों को डब्ल्यूएचओ के वायु-गुणवत्ता के दिशानिर्देशों को अपनाना चाहिए तथा अधिक हरित शहरी योजना, अधिक स्वच्छ ऊर्जा, अधिक हवादार भवनों, अधिक सुरक्षित पदयात्रा एवं साइकिल चालन के अतिरिक्त अवसरों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जनों में कमी करने के फलस्वरूप होनेवाले स्वास्थ्य संबंधी लाभों को सरकारों द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेने से जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और मानव-स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक साथ अधिक प्रगति करने का लाभ मिल सकता है। सभी नीति निर्माताओं को उन आर्थिक अवसरों - और राजनीतिक लाभों - को स्वीकार करना चाहिए जिनकी ऐसे किसी परिणाम से प्राप्त होने की संभावना हो।