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दार अस सलाम – यह 20 साल से कुछ अधिक पहले की बात है, जब दक्षिण अफ्रीका के फोटोग्राफर केविन कार्टर ने उस विवादास्पद तस्वीर से दुनिया को अचंभे में डाल दिया जिसमें अकाल के दौरान भूख से बेहाल एक नन्हे सूडानी बच्चे पर गिद्ध अपनी नज़र गढ़ाए बैठा है। आलोचकों ने इस चित्र की आलोचना "आपदा के अश्लील चित्रण" के रूप में की और इसे इस बात के एक और उदाहरण के रूप में पेश किया कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया अफ्रीकी समस्याओं को किस तरह सनसनीख़ेज तरीके से पेश करता है।
मुझे जो चीज़ विचलित करती है वह यह चित्र नहीं है। बल्कि वह यह बात है कि चित्र में जो स्थितियाँ दर्शाई गई हैं वे दो शताब्दियों के बाद भी मूलतः वैसी ही बनी हुई हैं। हर साल, दुनिया भर में 3.1 मिलियन बच्चे अभी भी भूख से मरते हैं।
एक अफ़्रीकी डॉक्टर होने के नाते, मैं यह जानता हूँ कि गंभीर कुपोषण और भुखमरी के विनाशकारी परिणाम हमेशा दिखाई नहीं देते हैं। ये हमेशा उतने अधिक साफ दिखाई नहीं देते हैं जितने कि वे भोजन की नलियों से लैस कंकालनुमा बच्चों की बाहर निकलती पसलियों में दिखाई देते हैं, जिन्हें मैं तंज़ानिया के अस्पताल के वार्डों में देखा करता था। दीर्घकालिक कुपोषण, या “अदृश्य भुखमरी” कई अन्य रूपों में दिखाई देती है – लेकिन यह विनाशकारी और घातक हो सकती है। और हालाँकि घोर कुपोषण सहित कई अन्य बीमारियों से होनेवाली मौतों में कमी हुई है, पर अदृश्य भुखमरी फैलती जा रही है।
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