सिएटल – दुनिया भर में दूर दराज़ के बहुत से स्थानों में, बच्चों के सबसे बड़े हत्यारे सबसे छोटे जीवाणुओं - वायरस, बैक्टीरिया, और एकल कोशिका वाले उन परजीवियों से पैदा होते हैं जिनके कारण डायरिया और निमोनिया होते हैं। यह देखते हुए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो भारी प्रगति हुई है उसके फलस्वरूप इन दोनों रोगों को रोका जा सकता है और इनका इलाज किया जा सकता है - यह अक्षम्य है। यह जरूरी है कि सभी बच्चों को, विशेष रूप जिन बच्चों को सबसे अधिक खतरा है, जीवन रक्षक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुँच प्राप्त हो।
यूनिसेफ के अनुसार, हर साल पांच साल की उम्र से कम के जिन 5.9 मिलियन बच्चों की मृत्यु होती है उनमें से पूरे एक चौथाई की मृत्यु निमोनिया और डायरिया से होती है। और अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन प्रवेश केंद्र की एक नई रिपोर्ट से यह पता चलता है कि निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौतों में से लगभग तीन-चौथाई मौतें सिर्फ 15 देशों में होती हैं। इन देशों और अन्य जगहों में, ऐसी सबसे अधिक मौतें सबसे गरीब और सबसे वंचित समुदायों में ही होती हैं।
हालांकि ये आंकड़े हाल के दशकों में हुई प्रगति को प्रतिबिंबित करते हैं, दुःख की बात तो यह है कि यदि सरकारें लगातार एक समय में केवल एक या दो उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के प्रलोभन के आगे झुक नहीं जातीं तो इसमें बहुत अधिक सुधार हो सकता था। इन बीमारियों से होनेवाली बच्चों की मौतों को सदा के लिए समाप्त करने के लिए, सरकारों को चाहिए कि दो साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा अपनी एकीकृत निमोनिया और डायरिया के लिए वैश्विक कार्य योजना में जिन हस्तक्षेपों की पहचान की गई थी वे उनका पूर्णरूपेण पालन करने के लिए प्रतिबद्धता दर्शाएँ।
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यूनिसेफ के अनुसार, हर साल पांच साल की उम्र से कम के जिन 5.9 मिलियन बच्चों की मृत्यु होती है उनमें से पूरे एक चौथाई की मृत्यु निमोनिया और डायरिया से होती है। और अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन प्रवेश केंद्र की एक नई रिपोर्ट से यह पता चलता है कि निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौतों में से लगभग तीन-चौथाई मौतें सिर्फ 15 देशों में होती हैं। इन देशों और अन्य जगहों में, ऐसी सबसे अधिक मौतें सबसे गरीब और सबसे वंचित समुदायों में ही होती हैं।
हालांकि ये आंकड़े हाल के दशकों में हुई प्रगति को प्रतिबिंबित करते हैं, दुःख की बात तो यह है कि यदि सरकारें लगातार एक समय में केवल एक या दो उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के प्रलोभन के आगे झुक नहीं जातीं तो इसमें बहुत अधिक सुधार हो सकता था। इन बीमारियों से होनेवाली बच्चों की मौतों को सदा के लिए समाप्त करने के लिए, सरकारों को चाहिए कि दो साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा अपनी एकीकृत निमोनिया और डायरिया के लिए वैश्विक कार्य योजना में जिन हस्तक्षेपों की पहचान की गई थी वे उनका पूर्णरूपेण पालन करने के लिए प्रतिबद्धता दर्शाएँ।
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