सिडनी - लॉस एंजेलिस से सिडनी के लिए हाल ही में 14.5 घंटे की एक उड़ान में, मेरे पास स्तंभ लेखक चार्ल्स क्राउथैमर के निबंधों का संग्रह, थिंग्स दैट मैटर (जो चीज़ें महत्वपूर्ण हैं) पढ़ने के लिए समय था। इससे यह उड़ान परेशानी भरी हो गई।
मैंने सालों से क्राउथैमर के लेखन का आनंद लिया है, लेकिन उनकी इस किताब में कुछ ऐसा था जो मुझे बहुत अधिक परेशान करने वाला लगा: यह जलवायु परिवर्तन पर उनका खुद का एक "शंकालु" के रूप में वर्णन करना था। वे "सहज रूप से मानते हैं कि वातावरण में बहुत सारी कार्बन डाइऑक्साइड भर देना बहुत अच्छा नहीं हो सकता" और फिर भी वे "इस बात को उतनी ही शिद्दत से मानते हैं कि जो लोग यह मान बैठे हैं कि उन्हें वास्तव में पता है कि इसका हश्र क्या होगा, वे हवा में बात कर रहे हैं।"
जो शब्द मुझे सबसे ज़्यादा खराब लगा, वह "शंकालु" था - केवल इसलिए नहीं कि क्राउथैमर प्रशिक्षित वैज्ञानिक हैं, बल्कि इसलिए भी कि ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड ने 2013 के अंत में लंदन में जब जलवायु परिवर्तन को न माननेवाले एक समूह को संबोधित किया तो उन्होंने इस शब्द का बार-बार इस्तेमाल किया था। हावर्ड ने वहाँ इकट्ठा हुए शंकालुओं से कहा था कि "इस बहस में एक आंशिक समस्या यह भी है कि इसमें शामिल कुछ उग्रपंथियों के लिए उनका उद्देश्य एक स्थानापन्न धर्म बन गया है।"
हावर्ड और क्राउथैमर को यह पता होना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन का मामला धर्म का नहीं, बल्कि विज्ञान का विषय है। इस विषय पर समकक्षीय-समीक्षा के प्रकाशनों के 2013 के सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 97% वैज्ञानिक इस स्थिति का समर्थन करते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग मनुष्यों के कारण हो रही है। वैज्ञानिक प्रक्रिया से परिचित कोई भी व्यक्ति यह जानता है कि शोधकर्ता असहमत होने, एक दूसरे की प्रकल्पनाओं और निष्कर्षों का विरोध करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। इस तरह की भारी सहमति प्राप्त करना उतना ही कठिन होता है जितना कभी किसी मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक तथ्य को प्राप्त करना।
यह देखते हुए कि क्राउथैमर भी यह मानते हैं कि वातावरण को कार्बन डाइऑक्साइड से पूरी तरह भर देना "बहुत अच्छा नहीं हो सकता", बहस में अगला तार्किक चरण समस्या का समाधान करने के लिए सबसे अच्छा तरीका निर्धारित करना है। अर्थशास्त्री के रूप में, मैं कार्बन पर शुल्क लगाने के लिए नीलामी-आधारित कैप-एंड-ट्रेड यानी उत्सर्जन कम करते हुए व्यापार करने की प्रणाली के पक्ष में हूँ। लेकिन मैं अक्षय ऊर्जा के लिए लक्ष्य निर्धारित करने, बिजली के इनकैंडेसेंट बल्बों पर रोक लगाने, और जैव ईंधनों के उपयोग को अनिवार्य बनाने जैसे विनियामक उपायों की संभावित उपयोगिता भी समझता हूँ। मैं ऐसे व्यक्ति का यह दावा स्वीकार नहीं कर सकता जो खुद तो कोई समाधान पेश नहीं करता और हम जैसे जो लोग समाधान पेश करते हैं उनके बारे में कहता है कि "हम हवा में बात कर रहे हैं।"
सौभाग्य से, क्राउथैमर जैसे लोगों की आवाज़ें अधिकाधिक विरल होती जा रही हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अभी भी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट जैसे अड़ियल लोग हैं जिन्होंने कार्बन के कर को ऐसी योजना से प्रतिस्थापित किया है जो उत्सर्जनों में कटौती करने के लिए प्रदूषणकर्ताओं को भुगतान करने हेतु देश के नागरिकों पर कर लगाती है। नीति के रूप में, यह असमान है, अकुशल है, और इससे उत्सर्जनों के उस गति से कम होने की संभावना नहीं है जो इस साल दिसंबर में पेरिस में स्वीकार किए जानेवाले वैश्विक जलवायु परिवर्तन समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए काफ़ी हो।
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मानसिकता में बदलाव का निश्चित संकेत इस बात से मिलता है कि वित्तीय संस्थानों द्वारा इस बात को अधिकाधिक मान्यता दी जाने लगी है कि ऋणों और निवेशों पर जलवायु परिवर्तन के जोखिम अधिक मात्रा में हो सकते हैं। इन जोखिमों में प्राकृतिक आपदाएँ, अधिक चरम मौसम, ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जनों को कम करने के लिए सरकारों के प्रयास, और नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षताओं, और वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों के महत्वपूर्ण प्रभाव शामिल हैं।
असेट ओनर्स डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट (परिसंपत्ति मालिकों की प्रकटीकरण परियोजना) के अनुसार, जिसका मैं अध्यक्ष हूँ, शीर्ष 500 वैश्विक परिसंपत्ति के मालिकों के जलवायु परिवर्तन के ख़तरों से चिंताजनक रूप से प्रभावित होने की संभावना है। उनके आधे से ज़्यादा निवेश उन उद्योगों में हैं जिन पर जलवायु परिवर्तन के ख़तरों की संभावना है; 2% से कम निवेश कम-कार्बन गहन उद्योगों में हैं। परिणामस्वरूप, उनके लिए यह जोखिम है कि नीतियों और बाज़ार की स्थितियों में बदलाव होने पर बुनियादी सुविधाओं, अन्य संपत्ति, और जीवाश्म ईंधन के भंडारों के मूल्य में कमी होने पर उनके निवेश और धारिताएँ "अटक जाएँगी"। जैसा कि यूएस ख़जाना मंत्री, हैंक पॉलसन, ने 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न होने पर एक बार यह चेतावनी दी थी कि जलवायु प्रेरित वित्तीय संकटों के जोखिमों के सामने सामान्य संकट तुच्छ दिखाई देंगे।
उदाहरण के लिए, कोयले की क़ीमत, इसके सर्वोच्च स्तर से लगभग आधे तक गिर गई है, और इसके और कम होने की अभी भी बहुत गुंजाइश है। नतीजतन, कोयला कंपनियों के शेयरों के मूल्य 90% तक गिर गए हैं, जिससे परिसंपत्तियों के मालिकों को विनिवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके विपरीत, टेस्ला मोटर्स जैसी कंपनी - जिसने अब घरों में इस्तेमाल के लिए रिचार्जेबल बैटरी विकसित कर ली है, जिसके फलस्वरूप बहुत से घरों में बिजली के बदले सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना शुरू किया जा सकता है - में निवेश करना कहीं ज़्यादा आकर्षक लग रहा है।
जैसे-जैसे बाजार में यह यह भावना विकसित हो रही है, वैसे-वैसे परिसंपत्ति मालिक कम-कार्बन वाले उद्योगों और टेस्ला जैसी कंपनियों में अपने निवेशों को बढ़ाकर अपने दांव आज़मा रहे हैं। समय बीतने के साथ, इसका वैश्विक निवेश निधि के आबंटन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। क्राउथैमर सोच सकते हैं कि मैं हवा में बात कर रहा हूँ, लेकिन मुझे विश्वास है कि जल्दी ही उन्हें - और उनकी बात मानने वाले लोगों को - अपनी राय बदलनी पड़ेगी।
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Sixteen months of congressional inaction in the United States has left Ukrainian forces exhausted and short on ammo. Although America has now finally enacted another package of financial and military aid, the best that the Ukrainians can hope for is another stalemate, rather than another major offensive against Russian lines.
explains how an additional $61 billion in aid and arms will, and will not, change the course of the war.
Although the US has abandoned its policy of engagement with China, the strategy of great-power competition that has replaced it does not preclude cooperation in some areas. A good analogy is a soccer match, where two teams battle fiercely but abide by certain rules and boundaries, kicking only the ball, rather than each other.
identifies seven areas where the two countries can still work together toward mutually beneficial outcomes.
सिडनी - लॉस एंजेलिस से सिडनी के लिए हाल ही में 14.5 घंटे की एक उड़ान में, मेरे पास स्तंभ लेखक चार्ल्स क्राउथैमर के निबंधों का संग्रह, थिंग्स दैट मैटर (जो चीज़ें महत्वपूर्ण हैं) पढ़ने के लिए समय था। इससे यह उड़ान परेशानी भरी हो गई।
मैंने सालों से क्राउथैमर के लेखन का आनंद लिया है, लेकिन उनकी इस किताब में कुछ ऐसा था जो मुझे बहुत अधिक परेशान करने वाला लगा: यह जलवायु परिवर्तन पर उनका खुद का एक "शंकालु" के रूप में वर्णन करना था। वे "सहज रूप से मानते हैं कि वातावरण में बहुत सारी कार्बन डाइऑक्साइड भर देना बहुत अच्छा नहीं हो सकता" और फिर भी वे "इस बात को उतनी ही शिद्दत से मानते हैं कि जो लोग यह मान बैठे हैं कि उन्हें वास्तव में पता है कि इसका हश्र क्या होगा, वे हवा में बात कर रहे हैं।"
जो शब्द मुझे सबसे ज़्यादा खराब लगा, वह "शंकालु" था - केवल इसलिए नहीं कि क्राउथैमर प्रशिक्षित वैज्ञानिक हैं, बल्कि इसलिए भी कि ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड ने 2013 के अंत में लंदन में जब जलवायु परिवर्तन को न माननेवाले एक समूह को संबोधित किया तो उन्होंने इस शब्द का बार-बार इस्तेमाल किया था। हावर्ड ने वहाँ इकट्ठा हुए शंकालुओं से कहा था कि "इस बहस में एक आंशिक समस्या यह भी है कि इसमें शामिल कुछ उग्रपंथियों के लिए उनका उद्देश्य एक स्थानापन्न धर्म बन गया है।"
हावर्ड और क्राउथैमर को यह पता होना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन का मामला धर्म का नहीं, बल्कि विज्ञान का विषय है। इस विषय पर समकक्षीय-समीक्षा के प्रकाशनों के 2013 के सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 97% वैज्ञानिक इस स्थिति का समर्थन करते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग मनुष्यों के कारण हो रही है। वैज्ञानिक प्रक्रिया से परिचित कोई भी व्यक्ति यह जानता है कि शोधकर्ता असहमत होने, एक दूसरे की प्रकल्पनाओं और निष्कर्षों का विरोध करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। इस तरह की भारी सहमति प्राप्त करना उतना ही कठिन होता है जितना कभी किसी मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक तथ्य को प्राप्त करना।
यह देखते हुए कि क्राउथैमर भी यह मानते हैं कि वातावरण को कार्बन डाइऑक्साइड से पूरी तरह भर देना "बहुत अच्छा नहीं हो सकता", बहस में अगला तार्किक चरण समस्या का समाधान करने के लिए सबसे अच्छा तरीका निर्धारित करना है। अर्थशास्त्री के रूप में, मैं कार्बन पर शुल्क लगाने के लिए नीलामी-आधारित कैप-एंड-ट्रेड यानी उत्सर्जन कम करते हुए व्यापार करने की प्रणाली के पक्ष में हूँ। लेकिन मैं अक्षय ऊर्जा के लिए लक्ष्य निर्धारित करने, बिजली के इनकैंडेसेंट बल्बों पर रोक लगाने, और जैव ईंधनों के उपयोग को अनिवार्य बनाने जैसे विनियामक उपायों की संभावित उपयोगिता भी समझता हूँ। मैं ऐसे व्यक्ति का यह दावा स्वीकार नहीं कर सकता जो खुद तो कोई समाधान पेश नहीं करता और हम जैसे जो लोग समाधान पेश करते हैं उनके बारे में कहता है कि "हम हवा में बात कर रहे हैं।"
सौभाग्य से, क्राउथैमर जैसे लोगों की आवाज़ें अधिकाधिक विरल होती जा रही हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अभी भी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट जैसे अड़ियल लोग हैं जिन्होंने कार्बन के कर को ऐसी योजना से प्रतिस्थापित किया है जो उत्सर्जनों में कटौती करने के लिए प्रदूषणकर्ताओं को भुगतान करने हेतु देश के नागरिकों पर कर लगाती है। नीति के रूप में, यह असमान है, अकुशल है, और इससे उत्सर्जनों के उस गति से कम होने की संभावना नहीं है जो इस साल दिसंबर में पेरिस में स्वीकार किए जानेवाले वैश्विक जलवायु परिवर्तन समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए काफ़ी हो।
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उदाहरण के लिए, कोयले की क़ीमत, इसके सर्वोच्च स्तर से लगभग आधे तक गिर गई है, और इसके और कम होने की अभी भी बहुत गुंजाइश है। नतीजतन, कोयला कंपनियों के शेयरों के मूल्य 90% तक गिर गए हैं, जिससे परिसंपत्तियों के मालिकों को विनिवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके विपरीत, टेस्ला मोटर्स जैसी कंपनी - जिसने अब घरों में इस्तेमाल के लिए रिचार्जेबल बैटरी विकसित कर ली है, जिसके फलस्वरूप बहुत से घरों में बिजली के बदले सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना शुरू किया जा सकता है - में निवेश करना कहीं ज़्यादा आकर्षक लग रहा है।
जैसे-जैसे बाजार में यह यह भावना विकसित हो रही है, वैसे-वैसे परिसंपत्ति मालिक कम-कार्बन वाले उद्योगों और टेस्ला जैसी कंपनियों में अपने निवेशों को बढ़ाकर अपने दांव आज़मा रहे हैं। समय बीतने के साथ, इसका वैश्विक निवेश निधि के आबंटन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। क्राउथैमर सोच सकते हैं कि मैं हवा में बात कर रहा हूँ, लेकिन मुझे विश्वास है कि जल्दी ही उन्हें - और उनकी बात मानने वाले लोगों को - अपनी राय बदलनी पड़ेगी।