Climate change protest

जलवायु में भरोसा रखना

वाशिंगटन, डीसी – 80 दिनों से कम समय में, दुनिया के नेताओं को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक पीढ़ी में एक बार किए जा सकने वाले समझौते पर हस्ताक्षर करने का अवसर प्राप्त होगा।  ग्लोबल वार्मिंग के सर्वाधिक हानिकारक परिणामों को रोकने के लिए कार्य करने की आवश्यकता को सर्वसम्मति से मान्यता देने के लिए दिसंबर में पेरिस में होनेवाला संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन दुनिया के इतिहास में एक निर्णायक अवसर सिद्ध हो सकता है।

लेकिन यदि कोई समझौता किया जाना है, तो सम्मेलन में भाग लेने वालों को उस अविश्वास को दूर करना होगा जिसके फलस्वरूप पिछली वार्ताओं में ध्रुवीकरण और निष्क्रियता की स्थिति बनी थी। ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जनों पर भारी-भरकम सीमाओं वाले किसी समझौते को लागू करने के लिए पहले उन प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना होगा जो पहले ही की जा चुकी हैं, जिनमें विकासशील दुनिया को जलवायु परिवर्तन में उसके योगदान को कम करने और वार्मिंग दुनिया के अनुकूल बनने में मदद करने के लिए विकसित देशों द्वारा 2020 तक प्रतिवर्ष $100 बिलियन खर्च करने के वादे सम्मिलित हैं।

चुनौती की व्यापकता और निष्क्रियता के फलस्वरूप दुनिया के सबसे कमजोर लोगों पर आनेवाली लागतों को देखते हुए, विकास संबंधी वित्तीय संस्थाओं और अन्य इच्छुक पक्षों को जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक हानिकारक प्रभावों को रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करनी चाहिए। ऐसा करने के लिए इस प्रयास में फिर से - और पारदर्शी - निष्ठा की आवश्यकता है।

यही कारण है कि विश्व बैंक समूह यह जांच कर रहा है कि अर्थव्यवस्थाओं को सतत विकास की राह पर लाने में मदद करने के लिए और भी क्या किया जा सकता है। पेरिस शिखर सम्मेलन से पहले प्रस्तुत की जा रही राष्ट्रीय योजनाओं पर पैनी नजर रखते हुए, हम अपने कार्य के पूरे परिवेश का सर्वेक्षण कर रहे हैं ताकि हम ऊर्जा, परिवहन, कृषि, वन, शहरी प्रबंधन तथा और बहुत से क्षेत्रों में देशों की मदद करने के अवसरों की खोज कर सकें।

दरअसल, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई विभिन्न प्रकार के मोर्चों पर की जानी चाहिए। बढ़ते वैश्विक तापमान और अधिकाधिक अस्थिर होती जा रही जलवायु विकास के सभी पहलुओं को प्रभावित करेगी और विद्यमान निवेशों को संकट में डाल देगी, जब तक कि शमन और अनुकूलन की पर्याप्त रणनीतियाँ निर्धारित नहीं की जाती हैं जो उन नए सतत विकास लक्ष्यों के लिए प्रमुख हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र इस महीने के अंत में अपनाएगा।

जलवायु परिवर्तन से लड़ने के इस प्रयास के एक हिस्से के रूप में जीवाश्म-ईंधन सब्सिडी और प्रदूषण की लागत के अपर्याप्त लेखांकन जैसे आर्थिक अक्षमता के स्रोतों पर कार्रवाई करने को शामिल करना चाहिए। और इस बात को अधिकाधिक मान्यता मिलती जा रही है कि विकास निधियों और जलवायु वित्त का उपयोग सार्वजनिक और निजी स्रोतों से निवेश को बढ़ाने और उत्प्रेरित करने के लिए किया जा सकता है।

SPRING SALE: Save 40% on all new Digital or Digital Plus subscriptions
PS_Sales_Spring_1333x1000_V1

SPRING SALE: Save 40% on all new Digital or Digital Plus subscriptions

Subscribe now to gain greater access to Project Syndicate – including every commentary and our entire On Point suite of subscriber-exclusive content – starting at just $49.99.

Subscribe Now

लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि सफल जलवायु समझौते में कम कार्बन वाले बुनियादी ढांचों और बढ़ते वैश्विक तापमानों के हानिकारक प्रभावों को और अधिक कम करने के लिए जिन अरबों डॉलरों का निवेश करने की आवश्यकता होगी उनके प्रबंध के लिए उचित उपायों को शामिल करना होगा। जितना अधिक संभव हो सके इसे सार्वजनिक और पारदर्शी रूप में किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि हम यह सुनिश्चित करें कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में जिन वित्तीय प्रवाहों का निवेश किया जा रहा है उन पर निगरानी रखी जा सके ताकि नागरिक अपनी सरकारों और संस्थाओं को जवाबदेह ठहरा सकें।

इसे पूरा करने के लिए, छह बड़े बहुपक्षीय विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त क्लब - जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, और अंतर्राष्ट्रीय विकास संस्थाओं का नेटवर्क है - जलवायु वित्त पर निगरानी रखने के लिए सामान्य सिद्धांत तैयार करने के लिए पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। ये सिद्धांत उन सभी परियोजनाओं पर लागू किए जाने चाहिए जिनका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम या अनुकूलित करने में देशों की मदद करना हो।

जून में जारी की गई एक रिपोर्ट में इन छह बैंकों ने यह बताया है कि उन्होंने संयुक्त रिपोर्टिंग शुरू होने के बाद किस तरह चार वर्षों में जलवायु वित्त के लिए $100 बिलियन से अधिक की राशि प्रदान की है। इसकी जानकारी तक पहुँच की नीति के तहत विश्व बैंक समूह के वित्त पर भी निगरानी रखी जा सकती है।

पेरिस में होनेवाला सम्मेलन जलवायु परिवर्तन के सबसे अधिक हानिकारक प्रभावों को दूर करने के लिए एक स्पष्ट राह निर्धारित करने का अवसर प्रदान करता है; बैठक में भाग लेनेवाले दुनिया के नेताओं को इस अवसर को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहिए। अपने वादों का विश्वसनीय और पारदर्शी रूप से निर्वाह करके, अमीर देश इस प्रयास में अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकते हैं और एक प्रभावी समझौते की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में निवेश करने का समय अब है। हमारे उत्सर्जनों के दुनिया भर में पहले से ही विनाशकारी प्रभाव पड़ रहे हैं। जलवायु संबंधी अस्थिरता और अनिश्चितता जैसे-जैसे बढ़ेगी, निष्क्रियता की लागत में वृद्धि होना जारी रहेगा।

https://prosyn.org/4UaPHgchi