न्यू हेवन – मानव अफ़्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (HAT) – जिसे निद्रा रोग भी कहते हैं – से ग्रामीण उप-सहारा अफ़्रीकी आबादी लंबे समय से त्रस्त है। इस परजीवी संक्रामक रोग का अगर इलाज न किया जाए तो यह अक्सर जानलेवा होता है। और इसका इलाज करना जटिल होता है, जिसमें अत्यधिक कुशलता वाले चिकित्सीय स्टाफ़ की ज़रूरत होती है जो प्रभावित इलाकों में बहुत मुश्किल से मिलता है। इस संक्रामक रोग को फैलानेवाले परजीवी – मध्यवर्ती और पश्चिमी अफ़्रीका में ट्रिपैनोसोमा ब्रूसी गैम्बिएन्स और पूर्वी अफ़्रीका में टी.बी. रहोड्सिएन्स – संक्रमित सीसी मक्खी (ग्लोसिना मॉर्सिटन्स मॉर्सिटन) के काटने से संचारित होते हैं।
बीसवीं सदी के आरंभ में HAT महामारी के प्रकोप से अफ्रीका के कई हिस्सों में आबादियाँ तबाह हो गई थीं। हालाँकि लाखों लोगों की व्यवस्थित जाँच और इलाज करने से 1930 के दशक में रोग के संक्रमण में प्रभावशाली रूप से कमी हुई थी, परंतु इन प्रयासों में ढिलाई बरतने के कारण 1950 और 1960 के दशकों में HAT को दुबारा उभरने का मौका मिल गया जिसके फलस्वरूप 1990 के दशक के आरंभ में इसने महामारी का रूप ले लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अभियान से आख़िरकार 2008 तक इस रोग पर नियंत्रण पा लिया गया और प्रति वर्ष इससे प्रभावित होनेवाले लोगों की संख्या घटकर मात्र लगभग 10,000 हो गई। लेकिन लाखों लोगों के लिए जोखिम बना हुआ है।
साफ तौर पर, सीसी मक्खियाँ उन इलाकों में गंभीर ख़तरा पैदा करती है जहाँ इसका इलाज करवाना उनकी बर्दाश्त या पहुँच के बाहर होता है। और यह ख़तरा मनुष्यों तक सीमित नहीं है। अफ़्रीकी पशु ट्रिपैनोसोमियासिस रोग, या नगाना, परजीवियों ट्रिपैनोसोमा कॉन्गोलेन्स, टी. विवाक्स और टी. ब्रूसी के कारण होता है – और ये सभी सीसी मक्खी द्वारा संक्रमित किए जाते हैं।
न्यू हेवन – मानव अफ़्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (HAT) – जिसे निद्रा रोग भी कहते हैं – से ग्रामीण उप-सहारा अफ़्रीकी आबादी लंबे समय से त्रस्त है। इस परजीवी संक्रामक रोग का अगर इलाज न किया जाए तो यह अक्सर जानलेवा होता है। और इसका इलाज करना जटिल होता है, जिसमें अत्यधिक कुशलता वाले चिकित्सीय स्टाफ़ की ज़रूरत होती है जो प्रभावित इलाकों में बहुत मुश्किल से मिलता है। इस संक्रामक रोग को फैलानेवाले परजीवी – मध्यवर्ती और पश्चिमी अफ़्रीका में ट्रिपैनोसोमा ब्रूसी गैम्बिएन्स और पूर्वी अफ़्रीका में टी.बी. रहोड्सिएन्स – संक्रमित सीसी मक्खी (ग्लोसिना मॉर्सिटन्स मॉर्सिटन) के काटने से संचारित होते हैं।
बीसवीं सदी के आरंभ में HAT महामारी के प्रकोप से अफ्रीका के कई हिस्सों में आबादियाँ तबाह हो गई थीं। हालाँकि लाखों लोगों की व्यवस्थित जाँच और इलाज करने से 1930 के दशक में रोग के संक्रमण में प्रभावशाली रूप से कमी हुई थी, परंतु इन प्रयासों में ढिलाई बरतने के कारण 1950 और 1960 के दशकों में HAT को दुबारा उभरने का मौका मिल गया जिसके फलस्वरूप 1990 के दशक के आरंभ में इसने महामारी का रूप ले लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अभियान से आख़िरकार 2008 तक इस रोग पर नियंत्रण पा लिया गया और प्रति वर्ष इससे प्रभावित होनेवाले लोगों की संख्या घटकर मात्र लगभग 10,000 हो गई। लेकिन लाखों लोगों के लिए जोखिम बना हुआ है।
साफ तौर पर, सीसी मक्खियाँ उन इलाकों में गंभीर ख़तरा पैदा करती है जहाँ इसका इलाज करवाना उनकी बर्दाश्त या पहुँच के बाहर होता है। और यह ख़तरा मनुष्यों तक सीमित नहीं है। अफ़्रीकी पशु ट्रिपैनोसोमियासिस रोग, या नगाना, परजीवियों ट्रिपैनोसोमा कॉन्गोलेन्स, टी. विवाक्स और टी. ब्रूसी के कारण होता है – और ये सभी सीसी मक्खी द्वारा संक्रमित किए जाते हैं।