सार्वजनिक वित्त-पोषित असमानता

वाशिंग्टन, डी सी - वैश्विक असमानता में भारी वृद्धि और आय वितरण के एकदम शीर्ष पर धन के संकेंद्रण को संचालित करने वाले कारकों में से एक कारक नवाचार और वैश्विक बाज़ारों के बीच पारस्परिक प्रभाव है। सक्षम उद्यमी के हाथों में प्रौद्योगिकी सफलता अरबों डॉलर के बराबर हो सकती है, जिसका कारण विनियामक संरक्षण और वैश्विक बाज़ारों की, विजेता-सब-कुछ-ले-जाए की प्रकृति होना है। तथापि, जिस बात की अकसर अनदेखी की जाती है, वह जनता के पैसे द्वारा निजी धन के इस आधुनिक संकेंद्रण में निभाई जाने वाली भूमिका है।

जैसा कि विकास अर्थशास्त्री डानी रोड्रिक ने हाल ही में उल्लेख किया है, संयुक्त राज्य अमेरिका में नई प्रौद्योगिकियों में ज़्यादातर बुनियादी निवेश का वित्त-पोषण जनता के पैसे से किया गया है। यह वित्त-पोषण रक्षा विभाग या राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) जैसे संस्थानों के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से हो सकता है, या कर अवकाश, सरकारी ख़रीद की प्रथाओं, और शैक्षिक प्रयोगशालाओं या शोध केंद्रों को दी जानेवाली आर्थिक सहायता के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से हो सकता है।

जब किसी शोध का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है - जैसा कि कई मामलों में अनिवार्य रूप से होता है - तो इसकी लागत सार्वजनिक क्षेत्र को वहन करनी पड़ती है। तथापि, उन लोगों के लिए स्थिति अक्सर बहुत अलग होती है, जो इसका फल प्राप्त करते हैं। जब कोई नई प्रौद्योगिकी स्थापित हो जाती है, तो निजी उद्यमी उद्यम पूँजी की मदद से, इसे वैश्विक बाज़ार की माँग के लिए अनुकूलित करते हैं, अस्थायी या दीर्घकालीन एकाधिकार की स्थितियाँ बनाते हैं, और इस तरह भारी मुनाफ़े कमाने लगते हैं। जिस सरकार ने इसके विकास के बड़े हिस्से का बोझ वहन किया होता है, उसे बहुत कम लाभ मिलता है या बिल्कुल नहीं मिलता है।

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