amazon deforestation Werner Rudhart/ZumaPress

वनों का फ्रांसिस

वाशिंगटन, डीसी – पोप फ्रांसिस ने जब जुलाई में लैटिन अमेरिका का दौरा किया, तो उन्होंने अमेज़न वर्षा वन और वहां रहनेवाले लोगों की सुरक्षा के लिए एक जोशपूर्ण दलील दी। उन्होंने बोलीविया में लोकप्रिय आंदोलनों पर वैश्विक बैठक में शामिल कार्यकर्ताओं से कहा कि “हमारी साझा आवास लूटा जा रहा है, उसमें गंदगी फैलाई जा रही है और बेखौफ़ होकर इसे क्षति पहुंचाई जा रही है। इसकी रक्षा करने में कायरता एक गंभीर पाप है।”

फ्रांसिस द्वारा कार्रवाई के लिए किए गए आह्वान पर ध्यान देना केवल नैतिक मुद्दा ही नहीं है; बल्कि यह एक व्यावहारिक मुद्दा भी है। इस वर्ष के अंत में जब दुनिया के नेता ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों पर प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में मिलेंगे, तो उन्हें उष्णकटिबंधीय वनों और वनों को अपना घर बनाने वाले लोगों की रक्षा करने के लिए नीतियां निर्धारित करनी चाहिए।

फ्रांसिस शायद अमेज़न का दौरा करने वाले पहले मिशनरी नहीं हैं। सेंट फ्रांसिस, जेसुइट, और डोमिनिकन पादरी सदियों से इस क्षेत्र में इसका प्रचार-प्रसार करते आ रहे हैं। फ्रांसिस की अपील इस दृष्टि से अलग है कि उनके कथन स्थानीय आबादी पर इतने अधिक लक्षित नहीं थे, जितने कि वे उत्तरी अमेरिका और यूरोप के निवासियों पर लक्षित थे जिनमें लकड़ी, जैव ईंधनों, और कृषि उत्पादों के लिए मांग के फलस्वरूप वर्षावनों का विनाश होता है और स्वदेशी आबादियों के जीवन संकट में पड़ जाते हैं।

अमेज़न के समुदायों को वर्षावनों की कटाई करने के लिए दिए गए आर्थिक प्रोत्साहनों से गंभीर रूप से नुकसान उठाना पड़ा है। दुनिया भर में, स्वदेशी लोगों को धमकियां दी जा रही हैं, उनकी हत्या की जा रही है, और उन्हें उनके अपने निवास स्थानों से हटाया जा रहा है। 2014 में मारे गए 116 पर्यावरणीय कार्यकर्ताओं में से 40% स्वदेशी नेता थे। उदाहरण के लिए, सितंबर 2014 में पेरू में एडविन छोटा और अशानिंका समुदायों के तीन अन्य नेताओं की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जो संभवतः अवैध रूप से वन कटाई करने वालों द्वारा की गई थी। दो महीने बाद, इक्वाडोर में शुआर लोगों के नेता जोस इसिदरो टेंडेटज़ा अंटून की तब निर्मम रूप से हत्या कर दी गई थी जब वे एक ऐसी  खनन परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए जा रहे थे जिसके कारण उनके लोगों की मातृभूमि को खतरा था।

वनों की कटाई मानव अधिकारों पर हमला होने के अलावा स्वदेशी संस्कृतियों पर आक्रमण भी है जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के लिए एक गंभीर खतरा है। वन आच्छादन और ग्लोबल वार्मिंग के नुकसान के बीच संबंधों को अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है। 1111/gcb.12865/abstract"वैश्विक उत्सर्जनों में वनों की कटाई और उनके जलने के फलस्वरूप होनेवाले कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जनों का अंश लगभग 10% है।

इस बीच, वनों में रहनेवाले लोगों ने यह दिखा दिया है कि वे अक्सर पेड़ों के सबसे अच्छे रक्षक होते हैं क्योंकि उन पर उनकी आजीविका निर्भर होती है। जिन वनों में स्वदेशी लोग रहते हैं उनमें अक्सर अधिक कार्बन धारित होता है बजाय उन वनों के जिनका प्रबंध सार्वजनिक या निजी रूप से किन्हीं अन्य मालिकों द्वारा किया जाता है। दरअसल, ब्राजील के अमेज़न में स्वदेशी भंडारों ने 134956.full"वनों की कटाई की दरों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है - परंतु बहुत अधिक कीमत पर। पिछले 12 वर्षों में, किसी भी अन्य देश की तुलना में ब्राजील में बहुत अधिक कार्यकर्ता और स्वदेशी नेता मारे गए हैं।

Subscribe to PS Digital
PS_Digital_1333x1000_Intro-Offer1

Subscribe to PS Digital

Access every new PS commentary, our entire On Point suite of subscriber-exclusive content – including Longer Reads, Insider Interviews, Big Picture/Big Question, and Say More – and the full PS archive.

Subscribe Now

इस वर्ष बाद में, पेरिस में होनेवाली कार्यवाहियों के दौरान, देशों से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे राष्ट्रीय योजनाएँ पेश करें - जिन्हें आशयित राष्ट्रीय निर्धारित योगदानों (INDC) के रूप में जाना जाता है - जिनमें वे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जनों को कम करने के लिए किए जानेवाले विशेष उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे। यदि फ्रांसिस की अपील का सम्मान किया जाना है, तो इन उपायों में स्वदेशी लोगों को अपनी भूमि पर अधिकार प्राप्त करने और उनके वनों की विनाश से रक्षा करने के लिए उन्हें सशक्त करने में मदद करने की प्रतिबद्धताओं को शामिल किया जाना चाहिए।

अब तक, दुनिया के केवल एक-चौथाई से थोड़े से अधिक देशों ने समीक्षा के लिए प्रारंभिक आशयित राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (INDC) प्रस्तुत किए हैं। दुर्भाग्य से, उष्णकटिबंधीय वनों वाले केवल कुछ देशों ने ही अपनी योजनाएं प्रस्तुत की हैं, और अमेज़न देशों में से तो किसी ने भी ऐसा नहीं किया है।

इसके विपरीत, मेक्सिको, एक अच्छा उदाहरण स्थापित कर रहा है। सरकार ने वर्ष 2030 तक वनों की कटाई को शून्य करने की प्रतिबद्धताओं और देश के जलनिस्तारण क्षेत्रों में वन पारिस्थितिकी प्रणालियों को बहाल करने सहित कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के लिए अपने आशयित राष्ट्रीय निर्धारित योगदानों (INDC) का उपयोग किया है। और फिर भी, हालांकि मेक्सिको में स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों के लिए भूमि और संपत्ति के अपेक्षाकृत अधिक मजबूत औपचारिक अधिकार हैं, उन अधिकारों को अभी तक अन्य नियमों के साथ एकीकृत किया जाना बाकी है जो किसी भी तरह के आर्थिक विकास में रुकावट डालनेवाले हों।

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के सदस्यों जैसे औद्योगीकृत देशों पर वनों की कटाई की समस्या का समाधान उपलब्ध कराने की विशेष जिम्मेदारी है। वन समुदायों को अपने संसाधनों का प्रबंध करने और अपनी आजीविकाओं का निर्वाह करने के लिए सहायता अवश्य प्रदान की जानी चाहिए। विकासशील देशों को कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जनों को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढालने के लिए, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्थापित हरित जलवायु निधि में विशेष रूप से स्वदेशी लोगों के लिए इस प्रकार के प्रावधानों को शामिल किया जाना चाहिए जिस प्रकार के प्रावधान जलवायु निवेश निधि के समर्पित अनुदान तंत्र में शामिल हैं।

फ्रांसिस की आगामी यात्राओं में वाशिंगटन, डीसी और पेरिस के दौरे शामिल होंगे जहाँ संभवतः वे पर्यावरण के पक्ष में अपना पक्षसमर्थन जारी रखेंगे। हमारे नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे उनके आह्वान को स्वीकार करें और प्रार्थनाओं को नीति का रूप दें।

https://prosyn.org/02u9MRrhi