वाशिंगटन, डीसी – मलेरिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में जो लोग अगली कतार में हैं उनके लिए इस परजीवी के ख़िलाफ़ टीके के विकास की ख़बर रोमांचक घटना है। 2013 में इस रोग से 584,000 मौतें हुई थीं, जिनमें से लगभग 90% उप-सहारा अफ्रीका में हुई थीं; मरने वालों में 78 प्रतिशत पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे। जिन 97 देशों में मलेरिया महामारी है, उनमें यह इलाज और देखभाल तक सीमित पहुंच वाले उन ग़रीब लोगों की आर्थिक उत्पादकता को तहस-नहस कर देता है जो उसे सबसे कम बर्दाश्त कर सकते हैं।
जुलाई में यूरोपियन यूनियन ह्यूमन मेडिसिन रेगुलेटरी एजेंसी ने छह सप्ताह से 17 माह तक की आयु के बच्चों को लगाए जानेवाले आरटीएस, एस (RTS,S) नामक टीके के उपयोग की स्वीकृति दी थी, जिसे इसके व्यापारिक नाम, मॉस्क़िवरिक्स के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर के स्वास्थ्य समुदाय ने अरसे पहले इस रोग का बोझ कम करने में टीके के महत्व की सराहना की थी, और दवा निर्माता कंपनी ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन (GSK) के शोधकर्ताओं के इस टीके पर काम शुरू करने के 30 कष्टदायक वर्षों के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वर्ष नवंबर में उन देशों में मॉस्क़्विरिक्स का उपयोग करने की घोषणा करेगा जहां मलेरिया महामारी है।
यह स्वीकृति मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण की सही दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। यह सामाजिक लोकोपकार, साझेदारियों और अंतर्राष्ट्रीय सहभागिताओं की चिरस्थायी शक्ति का भी सबूत है। बहरहाल, इस टीके के विकास और दुनिया के कुछ सबसे ग़रीब देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों में इसके एकीकरण की बाबत बहुत से सवाल अभी अनुत्तरित बने हुए हैं।
वाशिंगटन, डीसी – मलेरिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में जो लोग अगली कतार में हैं उनके लिए इस परजीवी के ख़िलाफ़ टीके के विकास की ख़बर रोमांचक घटना है। 2013 में इस रोग से 584,000 मौतें हुई थीं, जिनमें से लगभग 90% उप-सहारा अफ्रीका में हुई थीं; मरने वालों में 78 प्रतिशत पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे। जिन 97 देशों में मलेरिया महामारी है, उनमें यह इलाज और देखभाल तक सीमित पहुंच वाले उन ग़रीब लोगों की आर्थिक उत्पादकता को तहस-नहस कर देता है जो उसे सबसे कम बर्दाश्त कर सकते हैं।
जुलाई में यूरोपियन यूनियन ह्यूमन मेडिसिन रेगुलेटरी एजेंसी ने छह सप्ताह से 17 माह तक की आयु के बच्चों को लगाए जानेवाले आरटीएस, एस (RTS,S) नामक टीके के उपयोग की स्वीकृति दी थी, जिसे इसके व्यापारिक नाम, मॉस्क़िवरिक्स के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर के स्वास्थ्य समुदाय ने अरसे पहले इस रोग का बोझ कम करने में टीके के महत्व की सराहना की थी, और दवा निर्माता कंपनी ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन (GSK) के शोधकर्ताओं के इस टीके पर काम शुरू करने के 30 कष्टदायक वर्षों के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वर्ष नवंबर में उन देशों में मॉस्क़्विरिक्स का उपयोग करने की घोषणा करेगा जहां मलेरिया महामारी है।
यह स्वीकृति मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण की सही दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। यह सामाजिक लोकोपकार, साझेदारियों और अंतर्राष्ट्रीय सहभागिताओं की चिरस्थायी शक्ति का भी सबूत है। बहरहाल, इस टीके के विकास और दुनिया के कुछ सबसे ग़रीब देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों में इसके एकीकरण की बाबत बहुत से सवाल अभी अनुत्तरित बने हुए हैं।