पेरिस – वैश्विक गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयास पहले कभी इतना अधिक तीव्र नहीं हुआ था। ओईसीडी के नए आंकड़ों के अनुसार 2014 में, लगातार दूसरे वर्ष, आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) की कुल राशि $135 बिलियन के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुँच गई। इससे यह पता चलता है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ स्वयं अपनी हाल ही की समस्याओं के बावजूद, वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस कुल राशि में चीन, अरब देशों, और लैटिन अमेरिकी देशों द्वारा निवेशों और ऋणों के रूप में किए गए भारी व्यय की राशि को जोड़ें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विकासशील दुनिया की ओर ओडीए के प्रवाह अभूतपूर्व स्तरों तक पहुँच गए हैं। और फिर भी सुर्खियोंवाली इन संख्याओं के बारे में खुशी के कारण इन निधियों का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने के अवसरों को नज़रअंदाज़ नहीं होने देना चाहिए।
दाता देशों द्वारा आधिकारिक सहायता के फलस्वरूप चरम गरीबी और बाल मृत्यु दर को आधा करने में मदद मिली है, और इसके कारण कई अन्य मोर्चों पर भी प्रगति के लिए प्रोत्साहन मिला है। लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि विकास सहायता के सतत प्रवाह 2030 तक चरम गरीबी का उन्मूलन करने और संयुक्त राष्ट्र के नए सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे, जिन पर इस वर्ष बाद में सहमति होनी है।
पेरिस – वैश्विक गरीबी उन्मूलन के लिए प्रयास पहले कभी इतना अधिक तीव्र नहीं हुआ था। ओईसीडी के नए आंकड़ों के अनुसार 2014 में, लगातार दूसरे वर्ष, आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) की कुल राशि $135 बिलियन के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुँच गई। इससे यह पता चलता है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ स्वयं अपनी हाल ही की समस्याओं के बावजूद, वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस कुल राशि में चीन, अरब देशों, और लैटिन अमेरिकी देशों द्वारा निवेशों और ऋणों के रूप में किए गए भारी व्यय की राशि को जोड़ें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विकासशील दुनिया की ओर ओडीए के प्रवाह अभूतपूर्व स्तरों तक पहुँच गए हैं। और फिर भी सुर्खियोंवाली इन संख्याओं के बारे में खुशी के कारण इन निधियों का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने के अवसरों को नज़रअंदाज़ नहीं होने देना चाहिए।
दाता देशों द्वारा आधिकारिक सहायता के फलस्वरूप चरम गरीबी और बाल मृत्यु दर को आधा करने में मदद मिली है, और इसके कारण कई अन्य मोर्चों पर भी प्रगति के लिए प्रोत्साहन मिला है। लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि विकास सहायता के सतत प्रवाह 2030 तक चरम गरीबी का उन्मूलन करने और संयुक्त राष्ट्र के नए सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे, जिन पर इस वर्ष बाद में सहमति होनी है।