सिडनी – चीन अपनी अधिकतर बिजली जीवाश्म ईंधन को जलाकर उत्पन्न करता है जैसा कि औद्योगिक क्रांति के बाद से हर बढ़ती हुई आर्थिक शक्ति द्वारा किया गया है। लेकिन इसी एक तथ्य पर ध्यान केंद्रित करने में एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति को नज़रअंदाज़ करने का जोखिम है। विद्युत उत्पादन की चीनी प्रणाली जिस गति से हरित में बदलती जा रही है - वह इस धरती पर तुलनात्मक दृष्टि से समान आकार की किसी भी अन्य प्रणाली की अपेक्षा कहीं अधिक तेज़ है।
यह प्रवृत्ति तीन क्षेत्रों में दिखाई देती है। पहला क्षेत्र बिजली उत्पादन का है। चीन विद्युत परिषद द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चीन ने 2014 में जीवाश्म ईंधनों से जितनी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया उसमें वर्षों बाद 0.7% की जो कमी हुई, वह हाल ही के समय में हुई पहली कमी है। इस बीच, गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से किए गए विद्युत उत्पादन में 19% की वृद्धि हुई।
यह उल्लेखनीय है कि इस बदलाव में परमाणु ऊर्जा की भूमिका बहुत कम रही है। जल, वायु, और सौर जैसे बिल्कुल हरित स्रोतों से उत्पन्न बिजली में 20% की जो वृद्धि हुई, उसमें सबसे नाटकीय वृद्धि सौर विद्युत उत्पादन में हुई जिसमें 175% जितनी भारी वृद्धि हुई। सौर विद्युत नई उत्पादित ऊर्जा की दृष्टि से परमाणु बिजली से भी आगे निकल गई, और पिछले वर्ष परमाणु स्रोतों से प्राप्त प्राप्त 14.70 टेरावाट घंटे की तुलना में इससे 17.43 टेरावाट घंटे अतिरिक्त बिजली प्राप्त की गई। और, लगातार तीसरे वर्ष, चीन ने परमाणु ऊर्जा की तुलना में वायु से अधिक बिजली उत्पन्न की। इसे देखते हुए, इस तर्क में कोई दम नज़र नहीं आता कि चीन को बिजली के गैर-कार्बन स्रोतों के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
जिस दूसरे क्षेत्र में हरित प्रवृत्ति स्पष्ट दिखाई दे रही है, वह चीन की कुल बिजली उत्पादन क्षमता है। इस देश की विद्युत प्रणाली अब दुनिया की सबसे बड़ी प्रणाली है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के एक टेरावाट की तुलना में 1.36 टेरावाट उत्पादन करने में सक्षम है।
विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की प्रत्यक्ष तुलनाएँ करना मुश्किल है क्योंकि पवन, सौर, परमाणु, और जीवाश्म ईंधन संयंत्रों के उपयोग में दिन के समय के अनुसार भिन्नता रहती है। लेकिन वार्षिक आँकड़ों पर एक नज़र डालने से यह साफ पता चलता है कि पूरी प्रणाली किस तरह से बदल रही है।
पिछला वर्ष लगातार दूसरा वर्ष था जिसमें चीन ने जीवाश्म ईंधन स्रोतों की तुलना में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अधिक उत्पादन क्षमता का योगदान किया। चीन ने जीवाश्म ईंधनों से बिजली उत्पन्न करने की अपनी क्षमता में 45 गीगावाट की वृद्धि की जिससे उसकी कुल क्षमता बढ़कर 916 गीगावाट हो गई। इसके साथ ही, इसने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली का उत्पादन करने की अपनी क्षमता में 56 गीगावाट की वृद्धि की, और कुल 444 गीगावाट की क्षमता प्राप्त कर ली। पवन, जल, और सौर ऊर्जा संयंत्रों से इसकी उत्पादन क्षमता में 51 गीगावाट की और वृद्धि हुई।
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परिणामस्वरूप, चीन की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में वायु, जल, और सौर ऊर्जा का अंश 2007 के 21% से बढ़कर 31% हो गया, जबकि इसके अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा का अंश भी 2% है। ये परिणाम चीन की 12वीं पंचवर्षीय योजना में निर्धारित लक्ष्य से अधिक हैं जिसमें यह अनुमान लगाया गया था कि गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों पर आधारित विद्युत उत्पादन की क्षमता 2015 तक देश की बिजली प्रणाली का लगभग 30% होगी।
अंत में, हरित ऊर्जा की ओर प्रवृत्ति को चीन के निवेश के स्वरूपों में देखा जा सकता है। सबूत सामने हैं: देश जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता वाले स्रोतों की तुलना में विद्युत ऊर्जा के हरित स्रोतों पर अधिक धन लगा रहा है। वास्तव में, चीन किसी भी दूसरे देश की तुलना में हरित ऊर्जा पर अधिक खर्च कर रहा है।
जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा का उत्पादन करनेवाली स्थापनाओं में निवेश में लगातार कमी हुई है, यह 2008 के CN¥167 बिलियन (लगभग $24 बिलियन) से घटकर 2014 में CN¥95 बिलियन ($15.3 बिलियन) रह गया है, जबकि गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों में निवेश में वृद्धि हुई है, यह 2008 के CN¥118 बिलियन से बढ़कर 2014 में कम-से-कम CN¥252 बिलियन तक हो गया है। नवीकरणीय बिजली उत्पादन में ऊर्जा निवेश के अंश में लगातार बढ़ोतरी हुई है और यह मात्र चार वर्ष पहले के 32% से बढ़कर 2011 में 50% तक पहुँच गया। 2013 में, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश का अंश बढ़कर कम-से-कम 59% तक पहुँच गया।
बहुत कुछ चीन के ऊर्जा सुधारों, और विशेष रूप से दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली का निर्माण करने के प्रयासों की सफलता पर निर्भर करता है - यह एक ऐसी महत्वाकांक्षा है जो पश्चिम में की गई किसी भी कल्पना की तुलना में कहीं अधिक बड़ी है, और किए गए किसी भी प्रयास से बहुत कम है। इसलिए यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि जैसे-जैसे प्रणाली का विकास होता है, इसके बारे में सही रूप में सूचना दी जाए ताकि परिवर्तन की समग्र दिशा को समझा जा सके।
चीन की विद्युत प्रणाली कोयले पर बहुत अधिक आधारित बनी हुई है, और जब तक प्रणाली का वर्णन सही मायने में काले की तुलना में अधिक हरित के रूप में किया जा सकेगा, तब तक और बहुत अधिक कोयला जल चुका होगा। लेकिन परिवर्तन की दिशा स्पष्ट है। इसे स्वीकार किया जाना चाहिए, और वैश्विक ऊर्जा और ऊर्जा नीति की चर्चाओं में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
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When comparing Ukraine’s situation in 2024 to Europe’s in 1941, Russia’s defeat seems entirely possible. But it will require the West, and the US in particular, to put aside domestic political squabbles and muster the political will to provide Ukraine with consistent and robust military and financial assistance.
compare Russia's full-scale invasion to World War II and see reason to hope – as long as aid keeps flowing.
Current debates about Israeli policy are rife with double standards, leading to absurd decisions like Germany’s recent cancellation of a pro-Palestinian gathering. By quashing legitimate speech and assembly, an Israel-aligned establishment risks inciting precisely the kind of anti-Semitism that it wants to prevent.
worries that the double standards applied on Israel’s behalf will lead to an anti-Semitic backlash.
सिडनी – चीन अपनी अधिकतर बिजली जीवाश्म ईंधन को जलाकर उत्पन्न करता है जैसा कि औद्योगिक क्रांति के बाद से हर बढ़ती हुई आर्थिक शक्ति द्वारा किया गया है। लेकिन इसी एक तथ्य पर ध्यान केंद्रित करने में एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति को नज़रअंदाज़ करने का जोखिम है। विद्युत उत्पादन की चीनी प्रणाली जिस गति से हरित में बदलती जा रही है - वह इस धरती पर तुलनात्मक दृष्टि से समान आकार की किसी भी अन्य प्रणाली की अपेक्षा कहीं अधिक तेज़ है।
यह प्रवृत्ति तीन क्षेत्रों में दिखाई देती है। पहला क्षेत्र बिजली उत्पादन का है। चीन विद्युत परिषद द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चीन ने 2014 में जीवाश्म ईंधनों से जितनी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया उसमें वर्षों बाद 0.7% की जो कमी हुई, वह हाल ही के समय में हुई पहली कमी है। इस बीच, गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से किए गए विद्युत उत्पादन में 19% की वृद्धि हुई।
यह उल्लेखनीय है कि इस बदलाव में परमाणु ऊर्जा की भूमिका बहुत कम रही है। जल, वायु, और सौर जैसे बिल्कुल हरित स्रोतों से उत्पन्न बिजली में 20% की जो वृद्धि हुई, उसमें सबसे नाटकीय वृद्धि सौर विद्युत उत्पादन में हुई जिसमें 175% जितनी भारी वृद्धि हुई। सौर विद्युत नई उत्पादित ऊर्जा की दृष्टि से परमाणु बिजली से भी आगे निकल गई, और पिछले वर्ष परमाणु स्रोतों से प्राप्त प्राप्त 14.70 टेरावाट घंटे की तुलना में इससे 17.43 टेरावाट घंटे अतिरिक्त बिजली प्राप्त की गई। और, लगातार तीसरे वर्ष, चीन ने परमाणु ऊर्जा की तुलना में वायु से अधिक बिजली उत्पन्न की। इसे देखते हुए, इस तर्क में कोई दम नज़र नहीं आता कि चीन को बिजली के गैर-कार्बन स्रोतों के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
जिस दूसरे क्षेत्र में हरित प्रवृत्ति स्पष्ट दिखाई दे रही है, वह चीन की कुल बिजली उत्पादन क्षमता है। इस देश की विद्युत प्रणाली अब दुनिया की सबसे बड़ी प्रणाली है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के एक टेरावाट की तुलना में 1.36 टेरावाट उत्पादन करने में सक्षम है।
विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की प्रत्यक्ष तुलनाएँ करना मुश्किल है क्योंकि पवन, सौर, परमाणु, और जीवाश्म ईंधन संयंत्रों के उपयोग में दिन के समय के अनुसार भिन्नता रहती है। लेकिन वार्षिक आँकड़ों पर एक नज़र डालने से यह साफ पता चलता है कि पूरी प्रणाली किस तरह से बदल रही है।
पिछला वर्ष लगातार दूसरा वर्ष था जिसमें चीन ने जीवाश्म ईंधन स्रोतों की तुलना में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अधिक उत्पादन क्षमता का योगदान किया। चीन ने जीवाश्म ईंधनों से बिजली उत्पन्न करने की अपनी क्षमता में 45 गीगावाट की वृद्धि की जिससे उसकी कुल क्षमता बढ़कर 916 गीगावाट हो गई। इसके साथ ही, इसने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली का उत्पादन करने की अपनी क्षमता में 56 गीगावाट की वृद्धि की, और कुल 444 गीगावाट की क्षमता प्राप्त कर ली। पवन, जल, और सौर ऊर्जा संयंत्रों से इसकी उत्पादन क्षमता में 51 गीगावाट की और वृद्धि हुई।
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अंत में, हरित ऊर्जा की ओर प्रवृत्ति को चीन के निवेश के स्वरूपों में देखा जा सकता है। सबूत सामने हैं: देश जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता वाले स्रोतों की तुलना में विद्युत ऊर्जा के हरित स्रोतों पर अधिक धन लगा रहा है। वास्तव में, चीन किसी भी दूसरे देश की तुलना में हरित ऊर्जा पर अधिक खर्च कर रहा है।
जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा का उत्पादन करनेवाली स्थापनाओं में निवेश में लगातार कमी हुई है, यह 2008 के CN¥167 बिलियन (लगभग $24 बिलियन) से घटकर 2014 में CN¥95 बिलियन ($15.3 बिलियन) रह गया है, जबकि गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों में निवेश में वृद्धि हुई है, यह 2008 के CN¥118 बिलियन से बढ़कर 2014 में कम-से-कम CN¥252 बिलियन तक हो गया है। नवीकरणीय बिजली उत्पादन में ऊर्जा निवेश के अंश में लगातार बढ़ोतरी हुई है और यह मात्र चार वर्ष पहले के 32% से बढ़कर 2011 में 50% तक पहुँच गया। 2013 में, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश का अंश बढ़कर कम-से-कम 59% तक पहुँच गया।
बहुत कुछ चीन के ऊर्जा सुधारों, और विशेष रूप से दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली का निर्माण करने के प्रयासों की सफलता पर निर्भर करता है - यह एक ऐसी महत्वाकांक्षा है जो पश्चिम में की गई किसी भी कल्पना की तुलना में कहीं अधिक बड़ी है, और किए गए किसी भी प्रयास से बहुत कम है। इसलिए यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि जैसे-जैसे प्रणाली का विकास होता है, इसके बारे में सही रूप में सूचना दी जाए ताकि परिवर्तन की समग्र दिशा को समझा जा सके।
चीन की विद्युत प्रणाली कोयले पर बहुत अधिक आधारित बनी हुई है, और जब तक प्रणाली का वर्णन सही मायने में काले की तुलना में अधिक हरित के रूप में किया जा सकेगा, तब तक और बहुत अधिक कोयला जल चुका होगा। लेकिन परिवर्तन की दिशा स्पष्ट है। इसे स्वीकार किया जाना चाहिए, और वैश्विक ऊर्जा और ऊर्जा नीति की चर्चाओं में सम्मिलित किया जाना चाहिए।