जेनेवा – महिलाओं के लिए, इस दुनिया में जीवन को लाने के कार्य का ऐतिहासिक दृष्टि से अर्थ उनके अपने जीवन को खतरे में डालना रहा है क्योंकि प्रसव के दौरान मौत होने की संभावना वास्तविक होती है। लेकिन यद्यपि, गरीब देशों में मातृ मृत्यु को कम करने के मामले में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है, परंतु ये लाभ महिलाओं के स्वास्थ्य के खतरों में बढ़ोतरी होने के कारण बेअसर हो सकते हैं। पहली बार, हर वर्ष गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की वजह से होने वाली मौतों की संख्या प्रसव के कारण होनेवाली मौतों से अधिक होने की संभावना है।
यह प्रवृत्ति आंशिक रूप से मातृ मौतों को कम करने के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। 1990 से, महिलाओं की प्रसव के कारण होनेवाली मौतों की संख्या लगभग आधी होकर 2,89,000 प्रति वर्ष हो गई है। तथापि, उसी अवधि के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली वार्षिक मौतों में लगभग 40% की वृद्धि होने से इनकी संख्या 2,66,000 हो गई है। हालाँकि देखभाल के बेहतर स्तरों के कारण मातृ मृत्यु दरों में कमी होती जा रही है, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली मौतों में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। 2035 तक, इस बीमारी के फलस्वरूप हर वर्ष 4,16,000 महिलाओं के धीरे-धीरे और दर्द से मरने की संभावना है - लगभग ये सभी मौतें विकासशील देशों (ज्यादातर उप सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया) में होंगी।
त्रासदी यह है कि इन सभी मौतों को लगभग पूरी तरह से रोका जा सकता है। स्क्रीनिंग और इलाज के साथ, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के टीकों से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के अधिकतर मामलों को रोका जा सकता है। लेकिन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से मरनेवाली महिलाओं में से लगभग 90% विकासशील देशों में हैं, जहाँ उनमें से बहुत अधिक महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं, और इलाज तो उससे भी बहुत कम उपलब्ध है।
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यह प्रवृत्ति आंशिक रूप से मातृ मौतों को कम करने के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। 1990 से, महिलाओं की प्रसव के कारण होनेवाली मौतों की संख्या लगभग आधी होकर 2,89,000 प्रति वर्ष हो गई है। तथापि, उसी अवधि के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली वार्षिक मौतों में लगभग 40% की वृद्धि होने से इनकी संख्या 2,66,000 हो गई है। हालाँकि देखभाल के बेहतर स्तरों के कारण मातृ मृत्यु दरों में कमी होती जा रही है, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली मौतों में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। 2035 तक, इस बीमारी के फलस्वरूप हर वर्ष 4,16,000 महिलाओं के धीरे-धीरे और दर्द से मरने की संभावना है - लगभग ये सभी मौतें विकासशील देशों (ज्यादातर उप सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया) में होंगी।
त्रासदी यह है कि इन सभी मौतों को लगभग पूरी तरह से रोका जा सकता है। स्क्रीनिंग और इलाज के साथ, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के टीकों से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के अधिकतर मामलों को रोका जा सकता है। लेकिन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से मरनेवाली महिलाओं में से लगभग 90% विकासशील देशों में हैं, जहाँ उनमें से बहुत अधिक महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं, और इलाज तो उससे भी बहुत कम उपलब्ध है।
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