बर्लिन - पिछले 15 वर्षों में, बोतल-बंद पानी के उद्योग ने विस्फोटक प्रगति की है जिसके धीमा पड़ने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। दरअसल, बोतल-बंद पानी - “झरने के परिष्कृत पानी” से लेकर खुशबूदार पानी और विटामिनों, खनिजों या विद्युत अपघट्यों (इलेक्ट्रोलाइट्स) तक हर चीज़ सहित - पेय उद्योग में विकास का सबसे बड़ा क्षेत्र है, यहां तक कि उन शहरों में भी जहां नल का पानी सुरक्षित और बहुत अधिक नियंत्रित है। यह पर्यावरण और दुनिया के ग़रीबों के लिए तबाही ला रहा है।
पर्यावरणीय समस्याएं सबसे पहले पानी लेने के तरीक़े से शुरू होती हैं। दुनिया भर में बिकने वाला अधिकांश बोतल-बंद पानी जलीय चट्टानी परतों के भूमिगत जल भंडारों और झरनों से लिया गया पानी होता है, जो अधिकतर नदियों और झीलों को जल आपूर्ति करते हैं। इस तरह के जल भंडारों का दोहन करना सूखे की स्थितियों को बढ़ावा दे सकता है।
लेकिन आल्प्स, एंडीज़, आर्कटिक, कैसकेड्स, हिमालय, पेटागोनिया, रॉकी पर्वत शृंखलाओं और दूसरी जगहों के हिमनदों के बहते पानी को बोतलों में बंद करना भी ख़ास अच्छा नहीं है क्योंकि इससे यह पानी दलदली ज़मीनों के पुनर्भराव और जैव विविधता के संपोषण जैसी पारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है। यह बोतल-बंद पानी के बड़े व्यापारियों और दूसरे निवेशकों को आक्रामक ढंग से हिमनद के पानी के अधिकार ख़रीदने से नहीं रोक पाया है। उदाहरण के लिए चीन का बढ़ता खनिज जल उद्योग हिमालय के हिमनदों के पानी का दोहन करता है और इस प्रक्रिया में तिब्बत के पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है।
तथापि, आज का अधिकांश बोतल-बंद पानी हिमनद या प्राकृतिक झीलों का नहीं है, बल्कि संसाधित पानी है जो महानगरपालिकाओं या बहुधा सीधे ज़मीन से खींचा गया पानी होता है जिसका शोधन रिवर्स ओस्मोसिस या अन्य शोधन उपचारों से किया जाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि बोतल-बंद पानी के कारोबारी पानी के अपक्षय और प्रदूषण तक में अपनी भूमिका को लेकर बहुत-सी जगहों पर स्थानीय प्राधिकारियों और नागरिक समूहों के साथ विवादों में घिरे हुए हैं। सूखे से झुलसे कैलिफ़ोर्निया में बोतल-बंद पानी के कुछ कारोबारियों को विरोधों और जांचों का सामना करना पड़ा है; एक कंपनी पर तो झरने के पानी के दोहन पर पाबंदी भी लगा दी गई थी।
कोढ़ में खाज यह कि पानी का संसाधन करना, उसे बोतलों में भरना और उसकी शिपिंग करना बहुत ही संसाधन गहन काम है। एक लीटर बोतल-बंद पानी की पैकिंग में औसतन 1.6 लीटर पानी लगता है, यह इस उद्योग को बड़ा जल उपभोक्ता और अपशिष्ट जल उत्पादक बना देता है। और संसाधन और परिवहन से कार्बन का भारी मात्रा में निर्माण होता है।
पानी के उपभोक्ता तक पहुंचने जाने पर भी समस्या ख़त्म नहीं हो जाती। यह उद्योग मुख्य रूप से पोलिएथिलीन टेरेफ़्थलेट (PET) से बनी एक बार इस्तेमाल होने वाली बोतलों पर निर्भर है, जिसका कच्चा माल कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से प्राप्त होता है। यह PET ही था, जिसने 1990 के दशक में पानी को हल्के सुविधाजनक वहनीय उत्पाद में बदल दिया था।
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लेकिन PET सड़ता-गलता नहीं है; और हालांकि इसका पुनर्चक्रण हो सकता है, लेकिन आम तौर पर होता नहीं है। परिणामस्वरूप, बोतल-बंद पानी आज प्लास्टिक के कचरे का अकेला सबसे बड़ा स्रोत बन गया है, जिसमें प्रतिवर्ष दसियों अरब बोतलें कचरे में तब्दील होती हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में, जहां पिछले साल बिके बोतल-बंद पानी की मात्रा में 2013 की तुलना में 7% की वृद्धि हुई, प्लास्टिक की बनी 80% बोतलें कचरा बन गईं जो भूभराव का दम घोंट रही हैं।
सचमुच, पुनर्चक्रण की ऊंची दरें इस स्थिति में काफ़ी हद तक सुधार ला सकती है। उदाहरण के लिए, जर्मनी ने चतुर विनियमनों और सुपर मार्केट्स में ऐसी मशीनें लगाने जैसे प्रोत्साहनों के ज़रिये पुनर्चक्रण को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया है जो बोतलों के बदले पैसे देती हैं (जिन्हें प्रायः ग़रीब लोग ले आते हैं)। लेकिन पुनर्चक्रण के लिए और भी अधिक संसाधनों की ज़रूरत होती है।
कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि बोतल-बंद पानी की सुरक्षा और उसके स्वास्थ्य-संबंधी लाभ इन पर्यावरणी परिणामों को संतुलित कर देते हैं। लेकिन ये लाभ विपणन रणनीति से थोड़ा-सा ही अधिक हैं। हालांकि पश्चिमी देशों के नल के पानी में कभी-कभार ही गुणवत्ता की समस्या होती है और बोतल-बंद पानी का भी वही हाल है। इस उद्योग की अपनी उत्पादन प्रक्रिया खुद ही कभी-कभी संदूषण पैदा करती है और बड़े पैमाने पर माल-वापसी के लिए विवश कर देती है।
दरअसल, नल का पानी बोतल-बंद पानी से ज्यादा स्वास्थ्यकर होता है। रासायनिक शोधन का मतलब यह होता है कि संसाधित बोतल-बंद पानी में संभवतः फ़्लोराइड नहीं होगा, जो भूगर्भ के अधिकतर पानी में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है या दांतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए महानगरपालिका आपूरित पानी में जिसकी अत्यल्प मात्रा मिलाई जाती है।
इसके अलावा PET की बोतलों के साथ-साथ पोलिकार्बोनेट की पुनः उपयोग में लाई जानेवाली बड़ी बोतलों से रसायनों का संभावित रिसाव होने से भी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा होती हैं, जिनमें बोतल-बंद पानी के कारोबारी पानी को घरों और दफ़्तरों में पहुंचाते हैं। भंडारण की अभीष्टतम से कम स्थितियां - जिनमें उदाहरण के लिए, बोतलों को लंबे समय तक धूप और गरमी में रखा जाना शामिल है - बोतल-बंद पानी में ऐसी शक्तिशाली एस्ट्रोजनीय गतिविधि उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे उपभोक्ता के लिए ऐसे रसायनों का जोखिम पैदा हो सकता है जो शरीर के प्राकृतिक हारमोनों की भूमिका का स्वांग करके अंतःस्रावी तंत्र के कार्य को बदल देते हैं।
यह तो तय है कि ये नतीज़े अलक्षित रहने वाले नहीं हैं। यूएस में पर्यावरण-संबंधी चिंताओं के कारण कुछ विश्वविद्यालयों और कम-से-कम 18 राष्ट्रीय पार्कों में बोतल-बंद पानी की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
बोतलबंद पानी के उद्योग ने भी ख़तरे को भांप लिया है - और जनता की राय अपने पक्ष में रखने के लिए हरसंभव काम कर रहा है। इस उद्देश्य से, नेस्ले, पेप्सिको और कोकाकोला कंपनी जैसी बोतल-बंद पानी का कारोबार वाली बड़ी कंपनियों ने “हरित” मुहिम चला कर ExxonMobil, BP, और शेल जैसी ऊर्जा क्षेत्र की दैत्याकार कंपनियों की प्लेबुक से सबक लिया है।
लेकिन कोई ग़लती न करें: बोतल-बंद पानी दुनिया के संसाधनों और पर्यावरणी चुनौतियों को और बढ़ा रहा है। यह दुनिया भर के ग़रीबों तक पेयजल की पहुँच को और अधिक कठिन बना रहा है। यह नल के साफ़-सुथरे पानी से अधिक स्वास्थ्यवर्धक नहीं है। और यह अधिक स्वादिष्ट भी नहीं है, दरअसल, गुप्त स्वाद परीक्षणों से पता चला है कि लोग बोतल-बंद पानी और नल के पानी के बीच फ़र्क़ नहीं बता सकते।
स्पष्ट है कि नल के पानी की छवि सुधारने की ज़रूरत है। दुर्भाग्य से, उसके पास उस मार्केटिंग बाहुबल और विज्ञापन बजटों का अभाव है जिसके बल पर बोतल-बंद पानी का नाटकीय रूप से विकास हुआ है। यदि कोई सस्ता और बेहतर उत्पाद नहीं चल पाता है तो उपभोक्ताओं के लिए यह बुरी ख़बर होता है। जब वह उत्पाद पानी होता है तो यह हम सब की हार होती है।
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The European Union’s cumbersome and narrowly defined regulations for public procurement and spending are not simply inadequate; they are dangerous. They weaken the bloc’s ability to protect itself from a broad range of Russian hybrid attacks while prolonging Russia’s aggression in Ukraine.
propose a European Defense Production Act to help fast-track processes for public procurement and spending.
The intricate legal issues and colorful characters in Donald Trump's criminal trials will undoubtedly keep the media and the viewing public enraptured for months to come. But when it comes to the 2024 election, all that really matters is how the defendant appears to a narrow sliver of undecided voters.
points out that optics, more than the law or the facts, will be what matters most for the election.
बर्लिन - पिछले 15 वर्षों में, बोतल-बंद पानी के उद्योग ने विस्फोटक प्रगति की है जिसके धीमा पड़ने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। दरअसल, बोतल-बंद पानी - “झरने के परिष्कृत पानी” से लेकर खुशबूदार पानी और विटामिनों, खनिजों या विद्युत अपघट्यों (इलेक्ट्रोलाइट्स) तक हर चीज़ सहित - पेय उद्योग में विकास का सबसे बड़ा क्षेत्र है, यहां तक कि उन शहरों में भी जहां नल का पानी सुरक्षित और बहुत अधिक नियंत्रित है। यह पर्यावरण और दुनिया के ग़रीबों के लिए तबाही ला रहा है।
पर्यावरणीय समस्याएं सबसे पहले पानी लेने के तरीक़े से शुरू होती हैं। दुनिया भर में बिकने वाला अधिकांश बोतल-बंद पानी जलीय चट्टानी परतों के भूमिगत जल भंडारों और झरनों से लिया गया पानी होता है, जो अधिकतर नदियों और झीलों को जल आपूर्ति करते हैं। इस तरह के जल भंडारों का दोहन करना सूखे की स्थितियों को बढ़ावा दे सकता है।
लेकिन आल्प्स, एंडीज़, आर्कटिक, कैसकेड्स, हिमालय, पेटागोनिया, रॉकी पर्वत शृंखलाओं और दूसरी जगहों के हिमनदों के बहते पानी को बोतलों में बंद करना भी ख़ास अच्छा नहीं है क्योंकि इससे यह पानी दलदली ज़मीनों के पुनर्भराव और जैव विविधता के संपोषण जैसी पारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है। यह बोतल-बंद पानी के बड़े व्यापारियों और दूसरे निवेशकों को आक्रामक ढंग से हिमनद के पानी के अधिकार ख़रीदने से नहीं रोक पाया है। उदाहरण के लिए चीन का बढ़ता खनिज जल उद्योग हिमालय के हिमनदों के पानी का दोहन करता है और इस प्रक्रिया में तिब्बत के पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है।
तथापि, आज का अधिकांश बोतल-बंद पानी हिमनद या प्राकृतिक झीलों का नहीं है, बल्कि संसाधित पानी है जो महानगरपालिकाओं या बहुधा सीधे ज़मीन से खींचा गया पानी होता है जिसका शोधन रिवर्स ओस्मोसिस या अन्य शोधन उपचारों से किया जाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि बोतल-बंद पानी के कारोबारी पानी के अपक्षय और प्रदूषण तक में अपनी भूमिका को लेकर बहुत-सी जगहों पर स्थानीय प्राधिकारियों और नागरिक समूहों के साथ विवादों में घिरे हुए हैं। सूखे से झुलसे कैलिफ़ोर्निया में बोतल-बंद पानी के कुछ कारोबारियों को विरोधों और जांचों का सामना करना पड़ा है; एक कंपनी पर तो झरने के पानी के दोहन पर पाबंदी भी लगा दी गई थी।
कोढ़ में खाज यह कि पानी का संसाधन करना, उसे बोतलों में भरना और उसकी शिपिंग करना बहुत ही संसाधन गहन काम है। एक लीटर बोतल-बंद पानी की पैकिंग में औसतन 1.6 लीटर पानी लगता है, यह इस उद्योग को बड़ा जल उपभोक्ता और अपशिष्ट जल उत्पादक बना देता है। और संसाधन और परिवहन से कार्बन का भारी मात्रा में निर्माण होता है।
पानी के उपभोक्ता तक पहुंचने जाने पर भी समस्या ख़त्म नहीं हो जाती। यह उद्योग मुख्य रूप से पोलिएथिलीन टेरेफ़्थलेट (PET) से बनी एक बार इस्तेमाल होने वाली बोतलों पर निर्भर है, जिसका कच्चा माल कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से प्राप्त होता है। यह PET ही था, जिसने 1990 के दशक में पानी को हल्के सुविधाजनक वहनीय उत्पाद में बदल दिया था।
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सचमुच, पुनर्चक्रण की ऊंची दरें इस स्थिति में काफ़ी हद तक सुधार ला सकती है। उदाहरण के लिए, जर्मनी ने चतुर विनियमनों और सुपर मार्केट्स में ऐसी मशीनें लगाने जैसे प्रोत्साहनों के ज़रिये पुनर्चक्रण को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया है जो बोतलों के बदले पैसे देती हैं (जिन्हें प्रायः ग़रीब लोग ले आते हैं)। लेकिन पुनर्चक्रण के लिए और भी अधिक संसाधनों की ज़रूरत होती है।
कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि बोतल-बंद पानी की सुरक्षा और उसके स्वास्थ्य-संबंधी लाभ इन पर्यावरणी परिणामों को संतुलित कर देते हैं। लेकिन ये लाभ विपणन रणनीति से थोड़ा-सा ही अधिक हैं। हालांकि पश्चिमी देशों के नल के पानी में कभी-कभार ही गुणवत्ता की समस्या होती है और बोतल-बंद पानी का भी वही हाल है। इस उद्योग की अपनी उत्पादन प्रक्रिया खुद ही कभी-कभी संदूषण पैदा करती है और बड़े पैमाने पर माल-वापसी के लिए विवश कर देती है।
दरअसल, नल का पानी बोतल-बंद पानी से ज्यादा स्वास्थ्यकर होता है। रासायनिक शोधन का मतलब यह होता है कि संसाधित बोतल-बंद पानी में संभवतः फ़्लोराइड नहीं होगा, जो भूगर्भ के अधिकतर पानी में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है या दांतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए महानगरपालिका आपूरित पानी में जिसकी अत्यल्प मात्रा मिलाई जाती है।
इसके अलावा PET की बोतलों के साथ-साथ पोलिकार्बोनेट की पुनः उपयोग में लाई जानेवाली बड़ी बोतलों से रसायनों का संभावित रिसाव होने से भी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा होती हैं, जिनमें बोतल-बंद पानी के कारोबारी पानी को घरों और दफ़्तरों में पहुंचाते हैं। भंडारण की अभीष्टतम से कम स्थितियां - जिनमें उदाहरण के लिए, बोतलों को लंबे समय तक धूप और गरमी में रखा जाना शामिल है - बोतल-बंद पानी में ऐसी शक्तिशाली एस्ट्रोजनीय गतिविधि उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे उपभोक्ता के लिए ऐसे रसायनों का जोखिम पैदा हो सकता है जो शरीर के प्राकृतिक हारमोनों की भूमिका का स्वांग करके अंतःस्रावी तंत्र के कार्य को बदल देते हैं।
यह तो तय है कि ये नतीज़े अलक्षित रहने वाले नहीं हैं। यूएस में पर्यावरण-संबंधी चिंताओं के कारण कुछ विश्वविद्यालयों और कम-से-कम 18 राष्ट्रीय पार्कों में बोतल-बंद पानी की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
बोतलबंद पानी के उद्योग ने भी ख़तरे को भांप लिया है - और जनता की राय अपने पक्ष में रखने के लिए हरसंभव काम कर रहा है। इस उद्देश्य से, नेस्ले, पेप्सिको और कोकाकोला कंपनी जैसी बोतल-बंद पानी का कारोबार वाली बड़ी कंपनियों ने “हरित” मुहिम चला कर ExxonMobil, BP, और शेल जैसी ऊर्जा क्षेत्र की दैत्याकार कंपनियों की प्लेबुक से सबक लिया है।
लेकिन कोई ग़लती न करें: बोतल-बंद पानी दुनिया के संसाधनों और पर्यावरणी चुनौतियों को और बढ़ा रहा है। यह दुनिया भर के ग़रीबों तक पेयजल की पहुँच को और अधिक कठिन बना रहा है। यह नल के साफ़-सुथरे पानी से अधिक स्वास्थ्यवर्धक नहीं है। और यह अधिक स्वादिष्ट भी नहीं है, दरअसल, गुप्त स्वाद परीक्षणों से पता चला है कि लोग बोतल-बंद पानी और नल के पानी के बीच फ़र्क़ नहीं बता सकते।
स्पष्ट है कि नल के पानी की छवि सुधारने की ज़रूरत है। दुर्भाग्य से, उसके पास उस मार्केटिंग बाहुबल और विज्ञापन बजटों का अभाव है जिसके बल पर बोतल-बंद पानी का नाटकीय रूप से विकास हुआ है। यदि कोई सस्ता और बेहतर उत्पाद नहीं चल पाता है तो उपभोक्ताओं के लिए यह बुरी ख़बर होता है। जब वह उत्पाद पानी होता है तो यह हम सब की हार होती है।